बुधवार, 17 जनवरी 2024

👉 आत्मचिंतन के क्षण 17 Jan 2024

🔶 जो काम अभी हो सकता है, उसे घंटे भर बाद करने की मनोवृत्ति आलस्य की निशानी है। एक एक कार्य हाथ में लिया और करते चले गये, तो बहुत से कार्य पूर्ण कर सकेंगे, पर बहुत से काम एक साथ लेने से किसे पहले किया जाय, इस में समय बीत जाता है और एक भी काम पूरा और ठीक से नहीं हो पाता। अतः पहली बात ध्यान में रखने की यह है कि जो कार्य आज अभी हो सकता है, उसे कल के लिए न छोड़े, तत्काल उसे करें ।।

🔷 एक साथ अधिक कार्य हाथ में न लिये जायें क्योंकि इससे किसी भी काम में पूरा मनोयोग एवं उत्साह नहीं रहने से सफलता नहीं मिल सकेगी। अतः एक एक कार्य को  हाथ में लिया जाए और क्रमशः सबको कर लिया जाये अन्यथा सभी कार्य अधूरे रह जायेंगे और पूरे हुए बिना कार्य का फल नहीं मिल सकता।

🔶 आत्मा अनंत शक्तियों का भांडागार है। उसमें अपने उद्गम केन्द्र परमेश्वर की समस्त शक्तियाँ बीज रूप में सन्निहित हैं। उन्हें उगाने और बढ़ाने के लिए योग साधना एवं  तपश्चर्या का खाद- पानी लगाना पड़ता है, साथ ही साथ उच्चस्तरीय चरित्र निष्ठा एवं उदार सेवा -- सहायता का अवलंबन करना पड़ता है।

✍🏻 पं. श्रीराम शर्मा आचार्य


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