सोमवार, 27 मार्च 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 27 March 2023

◆ आज आस्तिकता भी विकृत हो गयी है। लोग मान बैठे  हैं कि थोड़ी सी चापलूसी करने या भेंट पूजा की छोटी-मोटी रिश्वत देकर ईश्वर को अपना पक्षपाती बनाया जा सकता है और फिर उससे अयोग्य होते हुए भी बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं तथा पापों के दण्ड से बचने की छूट पाई जा सकती है। यदि यह कल्पना सही हो तो फिर ईश्वर का मूल स्वरूप ही विकृत हो जाएगा। फिर उसे पक्षपाती, रिश्वतखोर, खुशामदपसंद और अन्धेरगर्दी फैलाने वाला कहा जाएगा।

◆ अनीतिपूर्वक बेईमानी अपनाकर यदि कोई धनी बनता है या उन्नतिशील कहलाता है तो वह सारी प्रगति धिक्कारे जाने योग्य है। कर्त्तव्य और औचित्य का पालन करते हुए भले ही कष्टसाध्य जीवन जीना पड़े, पर उस पथ से विचलित न होना ही मनुष्यता की रक्षा कहा जाएगा। उसी का नाम चारित्रिक शुचिता है।

◆ युग परिवर्तन का अर्थ है-व्यक्ति परिवर्तन और यह महान् प्रक्रिया अपने से आरंभ होकर दूसरों पर प्रतिध्वनित होती है। यह तथ्य हमें हजार बार मान लेना चाहिए और उसे कूट-कूट कर नस-नस में भर लेना चाहिए कि दुनिया को जिस उपकरण के माध्यम से पलटा जा सकता है, वह अपना परिष्कृत व्यक्तित्व ही है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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👉 निराश मत करिये

जो व्यक्ति आज तुम्हारी ही तरह होशियार और चतुर नहीं है उसे न तो निरुत्साहित करो और न उसका मजाक बनाओ। जो आदमी इस समय गधा, आलसी या मूर्ख प्रतीत होता है। यदि वह उचित अवसर पावे तो एक दिन बहुत ही बुद्धिमान सिद्ध हो सकता है। किसी की भूलों के लिये उसे तिरस्कृत मत करो वरन् उसे उत्साह देकर सन्मार्ग पर प्रवृत्त करने की चेष्टा करो।

गोल्ड स्मिथ, मास्टर लोगों की हंसी मजाक का साधन था। लड़के उसे ‘लकड़ी का चम्मच’ कहकर चिढ़ाते थे। वह डाक्टरी पढ़ता था, पर बार-बार असफल हो जाता। वास्तव में उसकी रुचि साहित्य की ओर थी। इन असफलता के दिनों में वह एक पुस्तक लिखने लगा। डॉक्टर जानसन ने कृपापूर्वक उसकी प्रथम कृति विकार आफ वेक फील्ड एक प्रकाशक को बिकवा कर उसको ऋण मुक्त कराया। इस रचना ने गोल्डस्मिथ की कीर्ति संसार भर में फैला दी। सर वाल्टर स्काट का नाम मास्टरों ने ‘मूढ़’ रख छोड़ा था। उसी मूढ़ ने ऐसी अद्भुत पुस्तकों की रचना की है जो सैंकड़ों शिक्षकों को शिक्षा दे सकती हैं। वेलिंगटन की माता उसकी मूर्खता से दुखी रहती थी। ईटन के स्कूल में वह बड़ा आलसी और बुद्धिहीन विद्यार्थी समझा जाता था। सेना में भर्ती हुआ तो प्रतीत होता था कि यह इस कार्य में भी अयोग्य साबित होगा, किन्तु उसने आश्चर्यजनक सैनिक योग्यता संपादित की और 46 वर्ष की आयु में दुनिया के सबसे बड़े सेनापति को हरा दिया।

आरंभ में कोई व्यक्ति अयोग्य दिखाई पड़े तो यह न समझना चाहिये कि इसमें योग्यता है ही नहीं या भविष्य में भी प्राप्त न कर सकेगा। यदि उचित प्रोत्साहन मिले और उपयुक्त साधन वह प्राप्त कर ले तो हो सकता है, कि आज नासमझ कहलाने वाला आदमी कल सयानों के कान काटने लगे।

किसी की बुद्धि पर मत हंसो वरन् उसकी त्रुटियों को सुधारने का प्रयत्न करो। तुम्हारे द्वारा लाँछित अपमानित या निरुत्साहित होने पर किसी का दिल टूट सकता है, किन्तु उसे किसी प्रकार से यहाँ तक कि वाणी से भी प्रोत्साहित करते रहो तो मनुष्य देहधारी प्राणी के असाधारण उन्नति कर जाने की बहुत कुछ आशा की जा सकती है।

✍🏻 स्वेट मार्डन
📖 अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1941 पृष्ठ 29

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👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...