मंगलवार, 20 नवंबर 2018

👉 कर्ज वाली लक्ष्मी

🔶 एक छोटा 15 साल का भाई अपने पापा से "पापा पापा  दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है अभी जीजाजी ने  फोन पर बताया". दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी।

🔷 दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले... हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में दहेज की बात करने आ रहे हैं.. बोले... दहेज के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है.. बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?" कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं..

🔶 घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी... खैर.. अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी.. कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा" दीनदयाल जी अब काम की बात हो जाए.. दीनदयाल जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें.. लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनदयाल जी और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनदयाल जी मुझे दहेज के बारे बात करनी है!...

🔷 दीनदयाल जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले  बताईए समधी जी....जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा..

🔶 समधी जी ने धीरे से दीनदयाल जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा..... आप कन्यादान में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब  स्वीकार है... पर कर्ज लेकर आप एक रुपया भी दहेज मत देना.. वो मुझे स्वीकार नहीं.. क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी "कर्ज वाली लक्ष्मी" मुझे स्वीकार नही...मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरी सम्पति को दो गुना कर देगी..

🔷 दीनदयाल जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा..

🔶 शिक्षा- कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें नही कोई स्वीकार करे .. l

👉 करने योग्य कुछ बातें


🔷 सुनने की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।

🔶 मुस्कराने की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं

🔷 ऊपर उठने की आदत डालो क्योंकि
टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।

🔶 प्रोत्साहित करने की आदत डालो
क्योंकि हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!

🔷 सच्चा व्यक्ति ना तो नास्तिक होता है ना ही आस्तिक होता है ।
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है......

🔶 छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं"

🔷 कभी पीठ पीछे आपकी बात चले
तो घबराना मत ...
बात तो
"उन्हीं की होती है"..
जिनमें कोई " बात " होती है

🔷 "निंदा" उसी की होती है जो "जिंदा" है
मरने के बाद तो सिर्फ "तारीफ" होती है।

👉 आज का सद्चिंतन 20 Nov 2018


👉 प्रेरणादायक प्रसंग 20 November 2018


👉 You O awakened one! shall inherit the Earth !

This dear reader is about you, you are the awakend soul that is talked about in this excrept -

🔶 Awakened souls shall have the earnest desire to bring about necessary transformation within themselves. They shall carry out thorough examination of their own thoughts, feeling, actions and behavior. They shall stop being blind followers of widely prevalent trends, traditions and practices and would start using their own independent thinking. They shall also stop being foolish copycat of others. This is where the revolution would start. This will be the very first step in the process of transformation.

🔷 The change in era will kick start with a powerful process of change in character at individual level. God has been emitting such a powerful subtle current of inspiration which is touching and stirring up every sensible and awakened individuals, instigating them every moment to keep reviewing their existing situation and make all necessary changes that would empower them with independent thinking.

🔶 The light of prudence, discretion and good judgment shall eliminate all doubts of the unknown, fears of any disaster, pre-conceived notions and meek tendency of doing what others do.

🔷 You would feel so much empowered from within that you shall set off, all alone, on the path you feel to be worthy of, turning a blind eye to any words of advice, opinions or discouragement by your so-called well-wishers.

✍🏻 Pt. Shriram Sharma Acharya
📖 Yug Nirman Yojana: Darsana, swarupa va karyakrama Vangmay 66 Page 1.16

👉 जाग्रत आत्माओं में सबसे पहले विवेक का अवतरण होगा

🔶 सबसे पहले जाग्रत आत्माओं के भीतर आत्मपरिवर्तन की तिलमिलाहट पैदा होगी। वे गइराई से आत्म-निरीक्षण करेंगे। अन्धी भेड़ों के गिरोह में से अपने को अलग निकालेंगे और स्वतंत्र चिन्तन करेंगे। 'लोग ऐसा करते हैं तो हम भी ऐसा करेंगे' का परावलम्बन बहिष्कृत होगा। क्रांति यहीं से आरम्भ होगी। परिवर्तन का प्रथम बिन्दु यहीं रहेगा।

🔷 युग परिवर्तन का आरम्भ व्यक्ति परिवर्तन की उग्र प्रक्रिया के साथ आरम्भ होगा। इसके लिए भगवान ऐसा सूक्ष्म प्रेरणा प्रवाह उत्पन्न कर रहे हैं, जो हर जीवित और जाग्रत आत्मा को व्याकुल, बेचैन कर दे। अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए हर घड़ी विवश करे और उसे घसीटकर उस स्थान पर खड़ा कर दे, जहाँ स्वतंत्र चिन्तन अनिवार्य हो जाता है।

🔶 विवेक का प्रकाश जब अपनाया जाता है तब अँधेरे की आशंकाएँ और विभीषिकाएँ सभी तिरोहित हो जाती हैं। वहाँ अन्धानुकरण एवं पूर्वाग्रहों का विनाश होता है। मनुष्य इतना साहस अनुभव करता है कि औचित्य के मार्ग पर अकेला ही चल पड़े। भले ही उसके तथाकथित शुभचिन्तक उसके लिए उसे रोकते, टोकते ही रह जाएँ।

✍🏻 पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-वांग्मय 66 पृष्ठ 1.16

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...