शनिवार, 21 दिसंबर 2019

Ishwariya Jagran Ka Mantra | ईश्वरीय जागरण का मंत्र | Dr Chinmay Pandya



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👉 श्रद्धा, सिद्धान्तों के प्रति हो (भाग ४)

अब एक और नई बात शुरू करते हैं। नई बात यह है कि यह मिशन हमने कितने परिश्रम से बनाया? कितना विस्तार इसका हो गया, कितना फैल गया, कितना खुल गया? कितना विस्तार होता जाता है? आप सुनते रहते है न, हजार कुण्ड के यज्ञीय समाचार आपको मिलते हैं। आपको २४०० शक्तिपीठों की स्थापना की बात मिलती है। इस साल जो युग-निर्माण सम्मेलन हुए है उन सम्मेलनों की बात याद है। यहाँ तक कि शिविर चलते हैं उनकी बात याद है। गवर्नमेण्ट के कितने शिविरों को हम चलाते हैं, इसकी बात याद है। यहाँ की फिल्म स्टूडियो, टी वी स्टूडियो, फिल्म चलाने वाले हैं—यह सब बातें आपको याद हैं। बहुत बड़ा काम है। बहुत बड़ी योजना है। इस काम को हमने आरम्भ किया, लेकिन अब यह जिम्मेदारी हम आपके सुपुर्द करते हैं। आपमें से हर आदमी को हम यह काम सौंपते हैं कि आप हमारे बच्चे के तरीके से हमारी दुकान चलाइए, बंद मत होने दीजिए। हम तो अपनी विदाई ले जाएँगे, लेकिन जिम्मेदारी आपके पास आएगी। आप कपूत निकलेंगे तो, फिर आदमी आपकी बहुत निंदा करेगा और हमारी बहुत निंदा करेगा।

कबीर का बच्चा ऐसा हुआ था जो कबीर के रास्ते पर चलता नहीं था, तो सारी दुनिया ने उससे यह कहा—'बूढ़ा वंश कबीर का, उपजा पूत कमाल।' आपको कमाल कहा जाएगा और कहा जाएगा कि कबीर तो अच्छे आदमी थे, लेकिन उनकी संतानें दो कौड़ी की भी नहीं हैं। आपको दो कौड़ी की संतानें पैदा नहीं करना है। आपको इस कार्य का विस्तार करना है। जो काम हम करते रहे हैं, वह अकेले हमने नहीं किया। मिल-जुल करके ढेरों आदमियों के सहयोग से किया है और यह सहयोग हमने प्यार से खींचे हैं, समझा करके खींचे हैं, आत्मीयता के आधार पर खींचे हैं। ये गुण आपके भीतर पैदा हो जाएँ तो जो आदमी आपके साथ-साथ काम करते रहते हैं, उनको भी मजबूत बनाए रहेंगे और नए आदमी जिनकी कि इससे आगे भी आवश्यकता पड़ेगी। अभी ढेरों आदमियों की आवश्यकता पड़ेगी। आपको संकल्प का नाम याद है न—'नया युग लाने का संकल्प।' नया युग लाने का संकल्प दो आदमियों का काम है, चार आदमियों का काम है, हजारों आदमियों का काम है। जो काम हमने अपने जीवन में किया है, वही काम आपको करना है।

नए आदमियों को बुलाने का भी आपका काम है। कैसे बुलाना? यहीं शान्तिकुञ्ज में कितने आदमी काम करते है? यहाँ २४० के करीब आदमी काम करते हैं। एक कुटुम्ब बनाकर बैठे हैं और उस कुटुम्ब को हम कौन-सी रस्सी से बाँधे बैठे हैं? प्यार की रस्सी से बाँधे हुए हैं, आत्मीयता की रस्सी से बाँधे हुए हैं, भावना की रस्सी से बाँधे हुए हैं। ये रस्सियाँ आपको तैयार करनी चाहिए, ताकि आप नए आदमियों को बाँध करके अपने पास रख सकें और जो आदमी वर्तमान में हैं आपके पास उनको मजबूती से जकड़े रह सकें। नहीं तो आप इनको भी मजबूती से जकड़े नहीं रह सकेंगे, यह भी नहीं रहेंगे। इनकी सफाई भी आपको करनी है। आत्मीयता अगर न होगी और आपका व्यक्तित्व न होगा तो आपके लिए इनकी सफाई करना भी मुश्किल हो जाएगा।

इसलिए क्या करना चाहिए? आपके पास एक ऐसी प्रेम की रस्सी होनी चाहिए, आपके पास ऐसी मिठास की रस्सी होनी चाहिए, आपके पास अपने व्यक्तिगत जीवन का उदाहरण पेश करने की ऐसी रस्सी होनी चाहिए, जिससे प्रभावित करके आप आदमी के हाथ जकड़ सकें, पैर जकड़ सकें, काम जकड़ सकें। सारे के सारे को जकड़ करके जिंदगी भर अपने साथ बनाए रख सकें। यह काम आपको भी विशेषता के रूप में पैदा करना पड़ेगा। संस्थाएँ इसी आधार पर चलती हैं। संस्थाओं की प्रगति इसी आधार पर टिकी है। संस्थाएँ जो नष्ट हुई हैं, संगठन जो नष्ट हुए हैं, इसी कारण नष्ट हुए हैं। चलिए मैं आपको एक-दो उदाहरण सुना देता हूँ।

.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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