शुद्ध व्यवहार और सदाचार समाज की सुदृढ़ स्थिति के दो आधार स्तम्भ हैं। इनसे व्यक्ति का भाग्य और समाज का भविष्य विकसित होता है। शिक्षा, धन एवं भौतिक समुन्नति का सुख भी इसी बात पर निर्भर है कि लोग सद्गुणी और सदाचारी बनें। सामाजिक परिवर्तन का आधार व्यक्ति के अंतःकरण की शुद्धि है। यही समाज में स्वच्छ आचरण और सुन्दर व्यवहार के रूप में प्रस्फुटित होकर सुख और जनसंतोष के परिणाम प्रस्तुत करती है।
हमें मूक सेवा को महत्त्व देना चाहिए। नींव के अज्ञात पत्थरों की छाती पर ही विशाल इमारतें तैयार होती हैं। इतिहास के पन्नों पर लाखों परमार्थियों में से किसी एक का नाम संयोगवश आ पाता है। यदि सभी स्वजनों का नाम छापा जाने लगे तो दुनिया का सारा कागज इसी काम में समाप्त हो जाएगा। यह सोचकर हमें प्रशंसा की ओर से उदास ही नहीं रहना चाहिए, वरन् उसको तिलांजलि भी देनी चाहिए। नामवरी के लिए जो लोग आतुर हैं, वे निम्न स्तर के स्वार्थी ही माने जाने चाहिए।
जो बदले की नीयत से सत्कर्म कर रहा है, वह व्यापारी है। पुण्य और परमार्थ को वाहवाही के लिए बेच देने वाले व्यापारी हीरा बेंचकर काँच खरीदने वाले मूर्ख की तरह हैं। जिसने प्रशंसा प्राप्त कर ली उसे पुण्य फल नाम की और कोई चीज मिलने वाली नहीं है। दुहरी कीमत वसूल नहीं की जा सकती। अहंकार को तृप्त करने के लिए प्रशंसा प्राप्त कर लेने के बाद किसी को यह आशा नहीं करनी चाहिए कि इस कार्य में उसे परमार्थ का दुहरा लाभ भी मिल जाएगा।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform
Shantikunj Official WhatsApp
8439014110, 9258352222
Official Facebook Page
https://www.facebook.com/ awgpofficial
Official Instagram
https://www.instagram.com/ awgpofficial
Official Telegram
https://t.me/awgpofficial
Official Twitter
https://twitter.com/ awgpofficial
Official Facebook Page
https://www.facebook.com/
Official Instagram
https://www.instagram.com/
Official Telegram
https://t.me/awgpofficial
https://twitter.com/
Youtube Channel Rishi Chintan
Youtube Channel Shantikunjvideo