एक राजा की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था, एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा हैl
राजा ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था! लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, राजा ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन लोग राजा को पहचान ना सके और पूछा क्या बात है? राजा ने कहा इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया? लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है
राजा ने कहा क्या ये "इंसान" नहीं है? और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, उसकी बीवी पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है" इस बात पर राजा को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है? लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ लगाने को भी तैयार ना थे?"
उसकी बीवी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ, उसी रात इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता भगवान का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे।
मैं अपने पति से कहती "याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना ही कोई तुम्हारा क्रियाकर्म करेंगा ना ही तुम्हारी चिता को कंधा देंगे वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी चिता खुद राजा और भगवान के नेक बंदे उठायेंगे..
यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं राजा हूं, अब इसका क्रियाकर्म में ही करूँगा ओर इसको कंधा भी में ही दूंगा
हमेशा याद रखिये अपना किया कर्म कभी खाली नही जाता
इसलिए अच्छे कर्म करते रहिए
राजा ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था! लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, राजा ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन लोग राजा को पहचान ना सके और पूछा क्या बात है? राजा ने कहा इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया? लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है
राजा ने कहा क्या ये "इंसान" नहीं है? और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, उसकी बीवी पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है" इस बात पर राजा को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है? लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ लगाने को भी तैयार ना थे?"
उसकी बीवी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ, उसी रात इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता भगवान का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे।
मैं अपने पति से कहती "याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना ही कोई तुम्हारा क्रियाकर्म करेंगा ना ही तुम्हारी चिता को कंधा देंगे वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी चिता खुद राजा और भगवान के नेक बंदे उठायेंगे..
यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं राजा हूं, अब इसका क्रियाकर्म में ही करूँगा ओर इसको कंधा भी में ही दूंगा
हमेशा याद रखिये अपना किया कर्म कभी खाली नही जाता
इसलिए अच्छे कर्म करते रहिए