👉 बड़े कामों के लिए वरिष्ठ प्रतिभाएँ
🔷 प्रतिभाओं को दुहरे मोरचे पर लड़ने का अभ्यास करना चाहिए। उनमें से एक है दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन और दूसरा है सत्प्रवृत्ति संवर्धन। इन प्रयासों का शुभारंभ अपने निज के जीवनक्रम से करके इन्हें परिवार में प्रचलित किया जा सकता है। इसके बाद पड़ोसियों, स्वजन-संबंधियों परिचित-घनिष्टों और उन सबको आलोक वितरण से लाभान्वित किया जा सकता है, जो अपने प्रभाव-परिचय क्षेत्र में आते हैं।
🔶 अपने स्वभाव में अनेक ऐसी आदतें सम्मिलित हो सकती हैं, जो अखरती तो नहीं, पर लकड़ी में लगे घुन की तरह निरंतर खोखला करने में अनवरत रूप से लगी रहती हैं। इनसे निपटने के लिए मोरचाबंदी यही से आरंभ करनी चाहिए। सबसे बुरी किंतु सर्वाधिक प्रचलित कुटेव एक है-वह है आलस्य। चोरी अनेक तरह की है, किंतु अपने आपको और अपने सगे-संबंधियों को सबसे अधिक हानि पहुँचाने वाली है कामचोरी। इसमें प्रतीत भर ऐसा होता है कि हम आराम से रह रहे हैं, मजे के दिन काट रहे हैं, पर सच बात यह है कि इस कुटेव के कारण आदमी दिन-दिन अनुपयोगी, अनगढ़, अयोग्य, अक्षम, अशक्त होता जाता है। प्रगति की समस्त संभावनाएँ आलसी को दूर से ही नमस्कार करके उलटे पैरों लौट जाती हैं।
🔷 यह समझा जाना चाहिए कि पसीने की हर बूँद मोती होती है। जीवन की बहुमूल्य शृंखला क्षणों के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी है। समुन्नत वे रहे हैं जिन्होंने समय का मूल्य समझा और उसकी हर इकाई का श्रेष्ठतम एवं क्रमबद्ध व्यस्त उपयोग करने का तारतम्य बिठाया। जो आलस्य-प्रमाद में उसे गँवाते रहते हैं, धीमी गति और ढीले तारतम्य से उसे ज्यों-त्यों करके काटते रहते हैं, वे किसी प्रकार अपनी मौत के दिन पूरे भर कर पाते हैं। उन्हें और तो कुछ मिलना ही क्या था, प्रतिभा परिवर्धन के सहज लाभ तक से वे वंचित रह जाते हैं। यह दुर्घटना अपने या अपने किसी प्रिय पात्र के जीवन में घटने न पाए, इसका विशेष सतर्कतापूर्वक ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है। लंबे समय के भारी और कठिन काम करने वालों को बीच-बीच में थोड़ा सुस्ताने की आवश्यकता अवश्य पड़ती है। पर उसकी पूर्ति थोड़ी देर के लिए काम या मन बदलने भर से पूरी हो जाती है। हृदय, जन्म के दिन से लेकर मृत्युपर्यंत धड़कता रहता है। इसी अवधि में वह कुछ क्षणों का विश्राम भी ले लेता है। हमारे भी काम और विश्राम के बीच इसी प्रकार का तालमेल बिठाया जाना चाहिए।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 युग की माँग प्रतिभा परिष्कार पृष्ठ 46