गुरुवार, 24 नवंबर 2022

👉 गुण-ग्राहक दृष्टि को जाग्रत कीजिए

🔴 जिसके दोष देखने को हम बैठते हैं, उसके दोष ही दोष दिखाई पड़ते हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि इस प्राणी या पदार्थ में दोष ही दोष भरे हुए हैं, बुराइयाँ ही बुराइयाँ उसमें संचित हैं, पर जब गुण-ग्राहक दृष्टि से निरीक्षण करने लगते हैं, तो हर प्राणी में, हर पदार्थ में कितनी ही अच्छाइयाँ, उत्तमताऐ, विशेषताएँ दीख पड़ती हैं।

🔵 वस्तुत: संसार का हर प्राणी एवं पदार्थ तीन गुणों से बना हुआ हैं उसमें जहाँ कई बुराइयाँ होती हैं, वहाँ कई अच्छाइयाँ भी होती हैं। अब यह हमारे हाथ में है कि उसके उत्तम तत्त्वों से लाभ उठाएँ या दोषों को स्पर्श कर दु:खी बनें। हमारे शरीर में कुछ अंग बड़े मनोहर होते हैं, पर कुछ ऐसे कुरूप और दुर्गंधित हैं कि उन्हें ढके रहना ही उचित समझ जाता है।

🔴 इस गुण-दोषमय संसार में से हम उपयोगी तत्त्वों को ढूँढ़ें, उन्हें प्राप्त करें और उन्हीं के साथ विचरण करें, तो हमारा जीवन सुखमय हो सकता है। बुराइयों से शिक्षा ग्रहण करें, सावधान हों, बचें और उनका निवारण करने का प्रयत्न करके अपनी चतुरता का परिचय दें, तो बुराइयाँ भी हमारे लिए मंगलमय हो सकती हैं। चतुर मनुष्य वह है जो बुराइयों से भी लाभ प्राप्त कर लेता है। गुण-ग्राहक दृष्टि को जाग्रत करके हम हर स्थिति से लाभ उठा सकते हैं।

🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🌹 अखण्ड ज्योति-अप्रैल 1948 पृष्ठ 1
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1948/April/v1.1

👉 क्या आप कर्जदार हैं?

🔵 क्या आप कर्जदार है? यदि ऐसा है तो आपकी आत्मा को शान्ति नहीं मिल सकती। उन धनी मानी व्यक्तियों के उदाहरण अपने सन्मुख रखिये जो आजन्म ऋण के बोझ से दबे रहे। हमारे ग्रामीण तो 80 प्रतिशत कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। गोल्डस्मिथ, बालजाक, मार्क टवैन, वेबस्टर, लार्ड वायरन, सर वाल्टर स्काट सब कर्जदार रहे। वाल्टरस्काट आजन्म कर्ज चुकाते रहे। रूसी लेखक डास्टाएन्सकी कर्ज में डूबा रहा। उसकी इच्छा थी कि कर्ज से मुक्त हो जावे किन्तु न हो सका।

🔴 गोल्डस्मिथ इतना फिजूल खर्च रहा कि जौनसन साहब की सहायता करने पर भी ऋण मुक्त न हो सका। कथाकार बालजाक अपने महाजनों से डरा-2 फिरा करता था। मार्क स्वेन का 300,000 रु॰ व्यापार में नष्ट हो गया था। लार्ड वायरन जैसे कवि का घर कई बार नीलाम होते होते बचा सुविख्यात चित्रकार व्हिरलय तथा हेडेन का जीवन सदैव दुःख में रहा।

🔵 श्री योगेन्द्र बिहारी लाल ऋण ग्रस्त व्यक्तियों के उदाहरण देते हुए लिखते हैं-“सौ वर्ष पहले ल्योब्रमेल इंग्लैंड का फैशन ‘सम्राट् कहा जाता था। उसके कपड़े पहनने का ढंग ही फैशन हो जाता था पर ऋण के कारण उसका सब कुछ बिक गया। जब नीलाम करने वाले उसके घर आते थे तो वह कपड़ों की अलमारियों के पीछे छिप जाता था। अन्त में वह पकड़ा गया। दरिद्रता के कारण उसे फटी कमीज पहननी पड़ती थी, और जनता उस भूतपूर्व फैशन सम्राट पर हंसती थी। विलियन पिट का विवाह कुमारी एडेन से होने जा रहा था, पर पिट के ऋण ग्रस्त होने से विवाह न हो सका था।”

🔴 अब्राहम लिंकन ने किसी से शराब की दुकान में साझीदार के मरने पर लिंकन ग्यारह वर्ष तक ऋण चुकाता रहा।

🔵 खर्च के विषय में बेखबर रहने से मनुष्य की पूरी आयु नष्ट हो जाती है। इसी के सदुपयोग से जीवन सरस बनता है, समाज में आदर और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। कौटिल्य ने कहा है-“केवल धन के द्वारा मनुष्य गुण, आनन्द एवं मोक्ष की प्राप्ति करता है।” वास्तव में आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न रहने से मनुष्य नैतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति भी सरलता से कर सकता है। रुपया पास होने से सूर्योदय और गुलाब भी हमें सुन्दर लगते हैं। एक कवि ने लिखा है-

“जब जेब में पैसा होता है,
जब पेट में रोटी होती है।
तब हर एक जर्रा हीरा है,
तब हर एक शबनम मोती होती है॥
इस उक्ति में एक शाश्वत सत्य अंतर्निहित है।

🌹 अखण्ड ज्योति जनवरी 1950 पृष्ठ 11

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