बुधवार, 6 दिसंबर 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 6 Dec 2023

मानसिक स्थिति पर ही जीवन की सफलता -असफलता निर्भर करती है। जिस तरह कुशल ड्राइवर गाड़ी को सही सलामत मंजिल तक पहुँचा देता है, उसी तरह स्वस्थ मनः स्थिति मनुष्य के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता का कारण बन जाती है। लेकिन जिस तरह अनाड़ी ड्राइवर गाड़ी को कहीं भी दुर्घटनाग्रस्त कर सकता है उसी तरह असन्तुलित और अस्वस्थ मन जीवन नैया को मझधार में ही डुबो देता है, नष्ट कर देता है।

जीवन का एक निर्दिष्ट लक्ष्य, कार्यक्रम बनाया जाय। उसी के अनुरूप सद्विचारों और उदात्त भावनाओं के चिंतन में मन को एकाग्र कर दिया जाय। मन चाहे या न चाहे, वह कितना ही भागे, उसे उस लक्ष्य और कार्यक्रम पर ही पकड़कर बार-बार लगाइये। इसके सिवा जो भी विरोधी विचार, भावनायें मन में उठे, उनकी ओर ध्यान न दें, उनसे विरक्त रहें। थोड़े समय में मन की चंचल दूर होकर मन एकाग्र हो जायगा। आप ऐसे एकाग्र मन की शक्ति का जिस दिशा में भी उपयोग करेंगे, उधर ही यह आश्चर्य उत्पन्न कर दिखायेगा।

अपने दैनिक जीवन-क्रम में भी जहाँ तक बने स्थिरता, धैर्य और शान्ति के साथ काम करना चाहिए। चंचलता भागदौड़, अस्तव्यस्तता, आवेश और उद्वेग को तो जीवन में किसी भी शर्त पर स्थान नहीं होना चाहिये। इससे मन की शक्ति नष्ट होती है। हम जो भी कुछ करें, वह व्यवस्थित शान्त होकर करें।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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👉 "बेईमानी से लाभ - बस एक भ्रम

बेईमानी की गरिमा स्वीकारने तथा आदर्श के रूप में अपनाने वाले वस्तुतः वस्तुस्थिति का बारीकी से विश्लेषण नहीं कर पाते। वे बुद्धि भ्रम से ग्रसित हैं। सच तो यह है, बेईमानी से धन कमाया ही नहीं जा सकता। इस आड़ में कमा भी लिया जाए तो वह स्थिर नहीं रह सकता। लोग जिन गुणों से कमाते हैं, वे दूसरे ही हैं । साहस, सूझ-बूझ, मधुर भाषण, व्यवस्था, व्यवहारकुशलता आदि वे गुण हैं जो उपार्जन का कारण बनते हैं।

बेईमानी से अनुपयुक्त रूप से अर्जित किए गए लाभ का परिणाम स्थिर नहीं और अंततः दुःखदायी ही सिद्ध होता है। ऐसे व्यक्ति यदि किसी प्रकार राजदंड से बच भी जाएँ तो भी उन्हें अपयश, अविश्वास, घृणा, असहयोग जैसे सामाजिक और आत्मप्रताड़ना तथा आत्मग्लानि जैसे आत्मिक कोप का भाजन अंततः बनना पड़ता है। बेईमानी से भी कमाई तभी होती है जब उस पर ईमानदारी का आवरण चढ़ा हो। किसी को ठगा तभी जा सकता है जब उसे अपनी प्रामाणिकता एवं विश्वसनीयता पर आश्वस्त कर दिया जाए। यदि किसी को यह संदेह हो जाए कि हमें ठगने का ताना बाना बुना जा रहा है तो वह उस जाल में नहीं फँसेगा तथा दूसरे को अपनी धूर्तता का लाभ नहीं मिल सकेगा।

वास्तवकिता प्रकट होने पर तो बेईमानी करने वाला न केवल उस समय के लिए वरन् सदा के लिए लोगों का अपने प्रति विश्वास खो बैठता है और लाभ कमाने के स्थान पर उल्टा घाटा उठाता है। रिश्वत लेते, मिलावट करते, धोखाधड़ी बरतते, सरकारी टैक्स हड़पते, काला बाजारी करते पकड़े जाने वाले सरकारी दंड पाते तथा समाज में अपनी प्रतिष्ठा गँवाते आए दिन देखे जाते हैं। उनकी असलियत प्रकट होते ही हर व्यक्ति घृणा करने लगता है।

✍🏻 पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 बड़े आदमी नहीं महामानव बनें, पृष्ठ 14


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👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024

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