यात्रियों से खचाखच भरी एक बस अपने गंतव्य की ओर जा रही थी। अचानक मौसम बहुत खराब हो गया।तेज आंधी और बारिश से चारों ओर अँधेरा सा छा गया। ड्राइवर को रास्ता दिखना भी बहुत मुश्किल हो रहा था। ड्राइवर ईश्वर पर बहुत आस्था रखने वाला व्यक्ति था। उसने किसी तरह सड़क किनारे एक पेड़ के पास गाड़ी रोक दी और यात्रियों से बोला कि मुझे इस बात पर पूरा यकीन है कि इस बस में एक पापी व्यक्ति बैठा हुआ है जिस कारण हम सब पर यह आफत आयी है। इसकी पहचान का एक सरल तरीका है।
हर आदमी बारी बारी से बस से उतरकर इस पेड़ को छूकर वापस बस में आकर बैठे। जो आदमी पापी होगा उसके छूते ही पेड़ पर बिजली गिर जाएगी और बस के बाकी यात्री सुरक्षित बच जाएँगे। सबसे पहले उसने खुद ऐसा ही किया और यात्रियों से भी ऐसा करने का दबाब बनाने लगा।
उसके ऐसा करने पर हर यात्री एक दूसरे को ऐसा करने को बोलने लगा। बाकी यात्रियों के दबाब पर एक यात्री बस से उतरा और पेड़ को छूकर जल्दी से बस में अपनी सीट पर आकर बैठ गया। इस तरह एक एक कर सभी यात्रियों ने ऐसा ही किया। अंत में केवल एक यात्री ऐसा करने से बचा रह गया। जब वह पेड़ को छूने के लिए जाने लगा तो सभी उसे ही वह पापी समझकर घृणा से उसे देखने लगे। उस व्यक्ति ने जैसे ही पेड़ को छुआ आकाश में तेज गड़गड़ाहट हुई और बस पर बिजली गिर गयी। बस धू धू कर जलने लगी और कोई भी जीवित नहीं बचा।उधर वह यात्री जिसे सभी पापी समझ रहे थे वह बिल्कुल सुरक्षित था।
*Moral of the story*
जीवन में कोई भी मुसीबत आने पर हम सभी सबसे पहले ईश्वर को कोसना शुरू कर देते हैं, उसे ही त्याग देते हैं। ये नहीं समझने की कोशिश करते कि उसी ईश्वर के कारण आज हम जिंदा हैं ठीक उसी तरह जैसे कोई भी यात्री यह समझने को तैयार नहीं था कि एक उस यात्री के कारण सबकी जान बची हुई थी। उस यात्री को जैसे ही सबने अपने से अलग किया सभी की जान चली गयी।
ईश्वर उसी को मुसीबत देता है जिसे वह इस काबिल समझता है कि वह इससे पार पा लेगा। अतः हम पर जब भी कोई मुसीबत आये,चाहे वह मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों न हो, हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने हमें कम से कम जिंदा तो रखा। अगर जान चली जाती तो न तो हम ईश्वर को कोस पाते और न ही धन्यवाद दे पाते। उसने हमें जिंदा बचाये रखा केवल इसलिए कि हम उसके इस एहसान को स्वीकार करें और अपनी भूल सुधार कर उस मुसीबत से पार पाने का उपाय ढ़ूँढ़ सकें। मुसीबत के समय ईश्वर को कोसने से हमारी मुसीबत कम नहीं हो सकती उलटा।
अतः मुसीबत के समय ईश्वर को कोसने की बजाय अपनी जान बख्शने के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें इस मुसीबत को सहने की शक्ति देने के साथ ही इससे बाहर निकालने का रास्ता दिखायें।
हर आदमी बारी बारी से बस से उतरकर इस पेड़ को छूकर वापस बस में आकर बैठे। जो आदमी पापी होगा उसके छूते ही पेड़ पर बिजली गिर जाएगी और बस के बाकी यात्री सुरक्षित बच जाएँगे। सबसे पहले उसने खुद ऐसा ही किया और यात्रियों से भी ऐसा करने का दबाब बनाने लगा।
उसके ऐसा करने पर हर यात्री एक दूसरे को ऐसा करने को बोलने लगा। बाकी यात्रियों के दबाब पर एक यात्री बस से उतरा और पेड़ को छूकर जल्दी से बस में अपनी सीट पर आकर बैठ गया। इस तरह एक एक कर सभी यात्रियों ने ऐसा ही किया। अंत में केवल एक यात्री ऐसा करने से बचा रह गया। जब वह पेड़ को छूने के लिए जाने लगा तो सभी उसे ही वह पापी समझकर घृणा से उसे देखने लगे। उस व्यक्ति ने जैसे ही पेड़ को छुआ आकाश में तेज गड़गड़ाहट हुई और बस पर बिजली गिर गयी। बस धू धू कर जलने लगी और कोई भी जीवित नहीं बचा।उधर वह यात्री जिसे सभी पापी समझ रहे थे वह बिल्कुल सुरक्षित था।
*Moral of the story*
जीवन में कोई भी मुसीबत आने पर हम सभी सबसे पहले ईश्वर को कोसना शुरू कर देते हैं, उसे ही त्याग देते हैं। ये नहीं समझने की कोशिश करते कि उसी ईश्वर के कारण आज हम जिंदा हैं ठीक उसी तरह जैसे कोई भी यात्री यह समझने को तैयार नहीं था कि एक उस यात्री के कारण सबकी जान बची हुई थी। उस यात्री को जैसे ही सबने अपने से अलग किया सभी की जान चली गयी।
ईश्वर उसी को मुसीबत देता है जिसे वह इस काबिल समझता है कि वह इससे पार पा लेगा। अतः हम पर जब भी कोई मुसीबत आये,चाहे वह मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों न हो, हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने हमें कम से कम जिंदा तो रखा। अगर जान चली जाती तो न तो हम ईश्वर को कोस पाते और न ही धन्यवाद दे पाते। उसने हमें जिंदा बचाये रखा केवल इसलिए कि हम उसके इस एहसान को स्वीकार करें और अपनी भूल सुधार कर उस मुसीबत से पार पाने का उपाय ढ़ूँढ़ सकें। मुसीबत के समय ईश्वर को कोसने से हमारी मुसीबत कम नहीं हो सकती उलटा।
अतः मुसीबत के समय ईश्वर को कोसने की बजाय अपनी जान बख्शने के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें इस मुसीबत को सहने की शक्ति देने के साथ ही इससे बाहर निकालने का रास्ता दिखायें।