धर्मक्षेत्र को आज हेय इसलिए समझा जाता है कि उसमें ओछे और अवांछनीय व्यक्तित्व भरे पड़े हैं। उन्होंने धर्म को बदनाम कियाहै। इतनी उपयोगी एवं उत्कृष्ट आस्था के प्रति लोगों को नाक-भों सिकोड़ने पड़ रहे हैं। इस स्थिति को बदलने का एक ही उपाय है कि बढ़िया लोग उस क्षेत्र में प्रवेश करें। इससे धर्म के प्रति फैली हुई अनास्था भी दूर होगी और उसे ढोंग न समझकर आस्थाओं का प्रशिक्षण समझा जाने लगेगा।
योजनाएँ कितनी ही आकर्षक क्यों न हों उनको आगे धकेलने वाले लोग जब आदर्शहीन, स्वार्थी और संकीर्ण दृष्टिकोण के हों तो उनकी दृष्टि उस योजना से अधिकाधिक अपना लाभ लेने की होगी। इस विचित्रता में कोई योजना सफल नहीं हो सकती। कोई भी महान् कार्य सदा आदर्शवादी आस्था लेकर चलने वाले लोग ही पूरा करते हैं। यदि इसी विशेषता का अभाव रहा तो फिर योग्यता, शिक्षा तथा कौशल कितना ही बढ़ा-चढ़ा हो वह व्यक्तिगत लाभ की ओर ही झुकेगा और वह समाज को हानि पहुँचाकर ही संभव हो सकता है।
एक लगनशील व्यक्ति अपने अनेक साथी-सहचर पैदा कर सकता है। जुआरी, शराबी, व्यभिचारी जब अपने कई साथी पैदा कर सकते हैं तो प्रबुद्ध व्यक्ति वैसा क्यों नहीं कर सकते? डाकुओं के छोटे-छोटे गिरोह जब एक बड़े क्षेत्र को आतंकित कर सकते हैं तो सही लोगों का संगठन क्या कुछ नहीं कर सकते? लगन की आग बड़ी प्रबल है। यह जिधर भी लगती है दावानल का रूप धारण करती है। युग निर्माता महापुरुष अकेले ही चले हैं, लोगों ने उनका विरोध-प्रतिरोध भी खूब किया फिर भी वे अपनी लगन के आधार पर अद्भुत सफलता प्राप्त कर सके-यही मार्ग हर लगनशील के लिए खुला पड़ा है।
योजनाएँ कितनी ही आकर्षक क्यों न हों उनको आगे धकेलने वाले लोग जब आदर्शहीन, स्वार्थी और संकीर्ण दृष्टिकोण के हों तो उनकी दृष्टि उस योजना से अधिकाधिक अपना लाभ लेने की होगी। इस विचित्रता में कोई योजना सफल नहीं हो सकती। कोई भी महान् कार्य सदा आदर्शवादी आस्था लेकर चलने वाले लोग ही पूरा करते हैं। यदि इसी विशेषता का अभाव रहा तो फिर योग्यता, शिक्षा तथा कौशल कितना ही बढ़ा-चढ़ा हो वह व्यक्तिगत लाभ की ओर ही झुकेगा और वह समाज को हानि पहुँचाकर ही संभव हो सकता है।
एक लगनशील व्यक्ति अपने अनेक साथी-सहचर पैदा कर सकता है। जुआरी, शराबी, व्यभिचारी जब अपने कई साथी पैदा कर सकते हैं तो प्रबुद्ध व्यक्ति वैसा क्यों नहीं कर सकते? डाकुओं के छोटे-छोटे गिरोह जब एक बड़े क्षेत्र को आतंकित कर सकते हैं तो सही लोगों का संगठन क्या कुछ नहीं कर सकते? लगन की आग बड़ी प्रबल है। यह जिधर भी लगती है दावानल का रूप धारण करती है। युग निर्माता महापुरुष अकेले ही चले हैं, लोगों ने उनका विरोध-प्रतिरोध भी खूब किया फिर भी वे अपनी लगन के आधार पर अद्भुत सफलता प्राप्त कर सके-यही मार्ग हर लगनशील के लिए खुला पड़ा है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform
Shantikunj WhatsApp
8439014110
Official Facebook Page
Official Twitter
Official Instagram
Youtube Channel Rishi Chintan
Youtube Channel Shantikunjvideo