जिन्हें किसी प्रकार का नेतृत्व निबाहना हो, उन्हें सर्वसाधारण की अपेक्षा अधिक वरिष्ठ और अति विशिष्ठ होना चाहिए। आत्म-परिष्कार की कसौटी पर कसकर स्वयं को इतना खरा बना लेना चाहिए कि किसी को अंगुली उठाने का अवसर ही न मिले। परीक्षा की इस घड़ी में यहां जांच खोज हो रही है कि यदि कहीं मानवता जीवित होगी, तो वह इस नवनिर्माण के पुण्य-पर्व पर अपनी जागरूकता और सक्रियता का परिचय दिये बिना न रहेगी।
आप यह कभी न सोचिए कि एक मैं ही पूर्ण हूं, मुझमें ही सब योग्यताएं हैं, मैं ही सब कुछ हूं, सबसे श्रेष्ठ हूं; वरन् यह सोचिए कि मुझमें भी कुछ है, में भी मनुष्य हूं, मेरे अन्दर जो कुछ है उसे मैं बढ़ा सकता हूं, उन्नत और विकसित कर सकता हूं।
हमारी परम्परा पूजा-उपासना की अवश्य है, पर व्यक्तिवाद की नहीं। अध्यात्म को हमने सदा उदारता, सेवा और परमार्थ की कसौटी से कसा है और स्वार्थी को खोटा और परमार्थी को खरा कहा है। जो हमारे हाथ में लगी हुई मशाल को जलाये रखने में अपना हाथ लगा सकें, हमारे कंधों पर लदे हुए बोझ को हलका करने में अपना कंधा लगा सकें, ऐसे ही लोग हमारे प्रतिनिधि या उत्तराधिकारी होंगे।
आप यह कभी न सोचिए कि एक मैं ही पूर्ण हूं, मुझमें ही सब योग्यताएं हैं, मैं ही सब कुछ हूं, सबसे श्रेष्ठ हूं; वरन् यह सोचिए कि मुझमें भी कुछ है, में भी मनुष्य हूं, मेरे अन्दर जो कुछ है उसे मैं बढ़ा सकता हूं, उन्नत और विकसित कर सकता हूं।
हमारी परम्परा पूजा-उपासना की अवश्य है, पर व्यक्तिवाद की नहीं। अध्यात्म को हमने सदा उदारता, सेवा और परमार्थ की कसौटी से कसा है और स्वार्थी को खोटा और परमार्थी को खरा कहा है। जो हमारे हाथ में लगी हुई मशाल को जलाये रखने में अपना हाथ लगा सकें, हमारे कंधों पर लदे हुए बोझ को हलका करने में अपना कंधा लगा सकें, ऐसे ही लोग हमारे प्रतिनिधि या उत्तराधिकारी होंगे।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform
Shantikunj WhatsApp
8439014110
Official Facebook Page
Official Twitter
Official Instagram
Youtube Channel Rishi Chintan
Youtube Channel Shantikunjvideo
Official Telegram