🔶 आज गुरुपूर्णिमा का त्यौहार है। हम आपको बता रहे हैं कि भगवान् का नया अवतार होने जा रहा है। आज की परिस्थितियों के अनुरूप यह अवतार है। जब-जब दुष्टता बढ़ती है, तब-तब देशकाल की परिस्थितियों के अनुरूप भगवान् अवतार के रूप में जन्म लेते हैं। आज आस्थाओं में, जन-जन के मन-मन में असुर घुस गया है। इसे विचारों की विकृति कह सकते हैं। एक किश्त आज के अवतार की आज से २५०० वर्ष पूर्व बुद्ध के रूप में, विचारशील के रूप में आई थी। वही प्रज्ञा की, विवेक की, विचारों कह अब पुनः आई है। वह है गायत्री मन्त्र ऋतम्भरा प्रज्ञा के रूप में। यह अवतार जो आ रहा है विचारों के संशोधन के रूप में दिमागों में ही नहीं, आस्थाओं में भी हलचलें पैदा करेगा।
🔷 विचार-क्रान्ति के रूप में जो आ रही है वह युगशक्ति गायत्री है। यह गायत्री हिन्दुस्तान मात्र की नहीं, सारे विश्व की है। नये विश्व की माइक्रोफिल्म इसमें छिपी पड़ी है। गायत्री मन्त्र विश्व मन्त्र है। व्यक्ति का अन्तस् व बहिरंग बदलने वाले बीज इस मन्त्र के अन्दर छिपे पड़े हैं। यदि आपको यह बात समझ में आ गई तो आप हमारे साथ नवयुग का स्वागत करने में जुट जाएँगे। हम अपने लिए एक ही नाम बताते हैं मुर्गा। मुर्गा वह जो प्रभात के आगमन का उद्घोष करें कि नवप्रभात आ रहा है, नया युग आ रहा है, युगशक्ति का अवतरण हो रहा है, कुकुडूकूँ........। यह तो मुर्गा करता है। हम नए युग की अगवानी करें।
🔶 हम गायत्री की फिलॉसफी व युग के देवता विज्ञान की बात आपको बताते आए हैं। यह ब्रह्मविद्या घर-घर पहुँचे, इसमें आप सबका सहयोग चाहते हैं। जैसे सेतुबन्ध के लिए, गोवर्धन के लिए, अवतारों को सहयोग मिला, हम भी चाहते हैं कि आप भी इस प्रवाह में सम्मिलित हो जाएँ। आपको भी बाद में लगेगा कि हम भी समय पर जुड़ गए होते तो अच्छा रहता। युगशक्ति का उदय एवं अवतरण हो रहा है। आप इस अवतरण में एक हाथ भर लगा दें। आपकी गणना युगान्तरकारी पुरुषों में होने लगेगी।
🔷 आप समय दीजिए, पैसा दीजिए। यह सोचकर नहीं कि हमारा काम रुकेगा। आप अपनी श्रद्धा को परिपक्व करने के लिए जो भी कर सकें वह कीजिए। हमें देने से, हमें गुरुदीक्षा से मतलब है। घर-घर, जन-जन तक गायत्री का सद्ज्ञान पहुँचाने का काम करना। दवा तो हमारे पास है आस्थाओं में छाई विषाक्तता की। आप मात्र सुई बन जाइए। आज की गुरुपूर्णिमा के दिन सम्पूर्ण समर्पण की, युगदेवता के काम के लिए खपने की मैं आपसे अपेक्षा रखता हूँ। आशा है आप मेरी इच्छा पूरी करेंगे।
🔶 अन्त में यह कामना करते हैं कि जिस श्रद्धा ने हमारा कल्याण किया, वह आपका भी कल्याण करे, ताकि आप महान् बनने के अधिकारी हो सकें। आप सबका कल्याण हो, सब स्वस्थ हों, सबका समर्पण भाव बढ़ा रहे।
‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखमाप्नुयात् ।।
आज की बात समाप्त।
ॐ शान्ति।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य (अमृतवाणी)