रविवार, 25 जून 2017
👉 रूपान्तरण कैसे हो
🔴 एक शिष्य ने अपने गुरुदेव से पूछा- "गुरुदेव, आपने कहा था कि धर्म से जीवन का रूपान्तरण होता है। लेकिन इतने दीर्घ समय तक आपके चरणों में रहने के बावजूद भी मैं अपने रूपान्तरण को महसूस नहीं कर पा रहा हूँ, तो क्या धर्म से जीवन का रूपान्तरण नहीं होता है?"
🔵 गुरुदेव मुस्कुराये और उन्होंने बतलाया- "एक काम करो, थोड़ी सी मदिरा लेकर आओ।"(शिष्य चौंक गया पर फिर भी शिष्य उठ कर गया और लोटे में मदिरा लेकर आया।) गुरुदेव ने शिष्य से कहा- "अब इससे कुल्ला करो।"(अपने शिष्य को समझाने के लिए गुरु को हर प्रकार के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। मदिरा को लोटे में भरकर शिष्य कुल्ला करने लगा। कुल्ला करते-करते लोटा खाली हो गया।)
🔴 गुरुदेव ने पुछा- "बताओ तुम्हें नशा चढ़ा या नहीं?"शिष्य ने कहा- "गुरुदेव, नशा कैसे चढ़ेगा? मैंने तो सिर्फ कुल्ला ही किया है। मैंने उसको कंठ के नीचे उतारा ही नहीं, तो नशा चढ़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
🔵 इस पर संत ने कहा- "इतने वर्षो से तुम धर्म का कुल्ला करते आ रहे हो। यदि तुम इसको गले से नीचे उतारते तो तुम पर धर्म का असर पड़ता।
🔴 जो लोग केवल सतही स्तर पर धर्म का पालन करते हैं। जिनके गले से नीचे धर्म नहीं उतरता, उनकी धार्मिक क्रियायें और जीवन-व्यवहार में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है। वे मंदिर में कुछ होते हैं, व्यापार में कुछ और हो जाते है। वे प्रभु के चरणों में कुछ और होते हैं एवं अपने जीवन-व्यवहार में कुछ और, धर्म ऐसा नहीं हैं, जहाँ हम बहुरूपियों की तरह जब चाहे जैसा चाहे वैसा स्वांग रच ले।
🔵 धर्म स्वांग नहीं है, धर्म अभिनय नहीं है, अपितु धर्म तो जीने की कला है, एक श्रेष्ठ पद्धति है।।"
🔵 गुरुदेव मुस्कुराये और उन्होंने बतलाया- "एक काम करो, थोड़ी सी मदिरा लेकर आओ।"(शिष्य चौंक गया पर फिर भी शिष्य उठ कर गया और लोटे में मदिरा लेकर आया।) गुरुदेव ने शिष्य से कहा- "अब इससे कुल्ला करो।"(अपने शिष्य को समझाने के लिए गुरु को हर प्रकार के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। मदिरा को लोटे में भरकर शिष्य कुल्ला करने लगा। कुल्ला करते-करते लोटा खाली हो गया।)
🔴 गुरुदेव ने पुछा- "बताओ तुम्हें नशा चढ़ा या नहीं?"शिष्य ने कहा- "गुरुदेव, नशा कैसे चढ़ेगा? मैंने तो सिर्फ कुल्ला ही किया है। मैंने उसको कंठ के नीचे उतारा ही नहीं, तो नशा चढ़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
🔵 इस पर संत ने कहा- "इतने वर्षो से तुम धर्म का कुल्ला करते आ रहे हो। यदि तुम इसको गले से नीचे उतारते तो तुम पर धर्म का असर पड़ता।
🔴 जो लोग केवल सतही स्तर पर धर्म का पालन करते हैं। जिनके गले से नीचे धर्म नहीं उतरता, उनकी धार्मिक क्रियायें और जीवन-व्यवहार में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है। वे मंदिर में कुछ होते हैं, व्यापार में कुछ और हो जाते है। वे प्रभु के चरणों में कुछ और होते हैं एवं अपने जीवन-व्यवहार में कुछ और, धर्म ऐसा नहीं हैं, जहाँ हम बहुरूपियों की तरह जब चाहे जैसा चाहे वैसा स्वांग रच ले।
🔵 धर्म स्वांग नहीं है, धर्म अभिनय नहीं है, अपितु धर्म तो जीने की कला है, एक श्रेष्ठ पद्धति है।।"
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform > 👉 शांतिकुंज हरिद्वार के प्रेरणादायक वीडियो देखने के लिए Youtube Channel `S...