🔷 एक साधु वर्षा के जल में प्रेम और मस्ती से भरा चला जा रहा था... कि इस साधु ने एक मिठाई की दुकान को देखा जहां एक कढ़ाई में गरम दूध उबला जा रहा था तो मौसम के हिसाब से दूसरी कढ़ाई में गरमा गरम जलेबियां तैयार हो रही थी
🔶 साधु कुछ क्षणों के लिए वहाँ रुक गया..... शायद भूख का एहसास हो रहा था या मौसम का असर था.... साधु हलवाई की भट्ठी को बड़े गौर से देखने लगा साधु कुछ खाना चाहता था लेकिन साधु की जेब ही नहीं थी तो पैसे भला कहां से होते....
🔷 साधु कुछ पल भट्ठी से हाथ सेंकने के बाद चला ही जाना चाहता था..... कि नेक दिल हलवाई से रहा न गया और एक प्याला गरम दूध और कुछ जलेबियां साधु को दें दी...
🔶 साधु ने गरम जलेबियां गरम दूध के साथ खाई और फिर हाथों को ऊपर की ओर उठाकर हलवाई के लिऐ प्रार्थना की..... फिर आगे चल दिया..... साधु बाबा का पेट भर चुका था दुनिया के दु:खों से बेपरवाह वे फिर इक नए जोश से बारिश के गंदले पानी के छींटे उड़ाता चला जा रहा था.......
🔷 वह इस बात से बेखबर था कि एक युवा नव विवाहिता जोड़ा भी वर्षा के जल से बचता बचाता उसके पीछे चला आ रहें है ...... एक बार इस मस्त साधु ने बारिश के गंदले पानी में जोर से लात मारी..... बारिश का पानी उड़ता हुआ सीधा पीछे आने वाली युवती के कपड़ों को भिगो गया उस औरत के कीमती कपड़े कीचड़ से लथपथ हो गये.....
🔶 उसके युवा पति से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई..... इसलिए वह आस्तीन चढ़ाकर आगे बढ़ा और साधु के कपड़ो से पकड़ कर कहने लगा अंधा है...... तुमको नज़र नहीं आता तेरी हरकत की वजह से मेरी पत्नी के कपड़े गीले हो गऐ हैं और कीचड़ से भर गऐ हैं.....
🔷 साधु हक्का-बक्का सा खड़ा था.... जबकि इस युवा को साधु का चुप रहना नाखुशगवार गुजर रहा था..... महिला ने आगे बढ़कर युवा के हाथों से साधु को छुड़ाना भी चाहा.... लेकिन युवा की आंखों से निकलती नफरत की चिंगारी देख वह भी फिर पीछे खिसकने पर मजबूर हो गई.....
🔶 राह चलते राहगीर भी उदासीनता से यह सब दृश्य देख रहे थे लेकिन युवा के गुस्से को देखकर किसी में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि उसे रोक पाते और आख़िर जवानी के नशे मे चूर इस युवक ने एक जोरदार थप्पड़ साधु के चेहरे पर जड़ दिया बूढ़ा मलंग थप्पड़ की ताब ना झेलता हुआ.... लड़खड़ाता हुऐ कीचड़ में जा पड़ा.....
🔷 युवक ने जब साधु को नीचे गिरता देखा तो मुस्कुराते हुए वहां से चल दिया.. बूढे साधु ने आकाश की ओर देखा और उसके होठों से निकला वाह मेरे भगवान कभी गरम दूध जलेबियां और कभी गरम थप्पड़....
🔶 लेकिन जो तू चाहे मुझे भी वही पसंद है........यह कहता हुआ वह एक बार फिर अपने रास्ते पर चल दिया.... दूसरी ओर वह युवा जोड़ा अपनी मस्ती को समर्पित अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो गया.....
🔷 थोड़ी ही दूर चलने के बाद वे एक मकान के सामने पहुंचकर रुक गए......वह अपने घर पहुंच गए थे.... वे युवा अपनी जेब से चाबी निकाल कर अपनी पत्नी से हंसी मजाक करते हुए ऊपर घर की सीढ़ियों तय कर रहा था....
🔶 बारिश के कारण सीढ़ियों पर फिसलन हो गई थी अचानक युवा का पैर फिसल गया और वह सीढ़ियों से नीचे गिरने लगा.... महिला ने बहुत जोर से शोर मचा कर लोगों का ध्यान अपने पति की ओर आकर्षित करने लगी जिसकी वजह से काफी लोग तुरंत सहायता के लिये युवा की ओर लपके.....
🔷 लेकिन देर हो चुकी थी युवक का सिर फट गया था और कुछ ही देर मे ज्यादा खून बह जाने के कारण इस नौजवान युवक की मौत हो चुकी थी कुछ लोगों ने दूर से आते साधु बाबा को देखा तो आपस में कानाफुसी होने लगीं कि निश्चित रूप से इस साधु बाबा ने थप्पड़ खाकर युवा को श्राप दिया है....
🔶 अन्यथा ऐसे नौजवान युवक का केवल सीढ़ियों से गिर कर मर जाना बड़े अचम्भे की बात लगती है..... कुछ मनचले युवकों ने यह बात सुनकर साधु बाबा को घेर लिया एक युवा कहने लगा कि आप कैसे भगवान के भक्त हैं जो केवल एक थप्पड़ के कारण युवा को श्राप दे बैठे......
🔷 भगवान के भक्त मे रोष व गुस्सा हरगिज़ नहीं होता ....आप तो जरा सी असुविधा पर भी धैर्य न कर सकें..... साधु बाबा कहने लगा भगवान की क़सम मैंने इस युवा को श्राप नहीं दिया....
🔶 अगर आप ने श्राप नहीं दिया तो ऐसा नौजवान युवा सीढ़ियों से गिरकर कैसे मर गया?
🔷 तब साधु बाबा ने दर्शकों से एक अनोखा सवाल किया कि आप में से कोई इस सब घटना का चश्मदीद गवाह मौजूद है? एक युवक ने आगे बढ़कर कहा..... हाँ मैं इस सब घटना का चश्मदीद गवाह हूँ
🔶 साधु ने अगला सवाल किया.....मेरे क़दमों से जो कीचड़ उछला था क्या उसने युवा के कपड़े को दागी किया था? युवा बोला..... नहीं.... लेकिन महिला के कपड़े जरूर खराब हुए थे
🔷 मलंग ने युवक की बाँहों को थामते हुए पूछा.. फिर युवक ने मुझे क्यों मारा? युवा कहने लगा...... क्योंकि वह युवा इस महिला का प्रेमी था और यह बर्दाश्त नहीं कर सका कि कोई उसके प्रेमी के कपड़ों को गंदा करे..... इसलिए उस युवक ने आपको मारा....
🔶 युवा बात सुनकर साधु बाबा ने एक जोरदार ठहाका बुलंद किया और यह कहता हुआ वहाँ से विदा हो गया..... तो भगवान की क़सम मैंने श्राप कभी किसी को नहीं दिया लेकिन कोई है जो मुझ से प्रेम रखता है....
🔷 अगर उसका यार सहन नहीं कर सका तो मेरे यार को कैसे बर्दाश्त होगा कि कोई मुझे मारे और... वह इतना शक्तिशाली है कि दुनिया का बड़े से बड़ा राजा भी उसकी लाठी से डरता है ....
🔶 उस परमात्मा की लाठी दीख़ती नही और आवाज भी नही करती लेकिन पडती हैं तों बहुत दर्द देंती हैं।
🔷 हमारें कर्म ही हमें उसकी लाठ़ी से बचातें हैं बस़ कर्म अच्छें होंने चाहीये.....
🔶 साधु कुछ क्षणों के लिए वहाँ रुक गया..... शायद भूख का एहसास हो रहा था या मौसम का असर था.... साधु हलवाई की भट्ठी को बड़े गौर से देखने लगा साधु कुछ खाना चाहता था लेकिन साधु की जेब ही नहीं थी तो पैसे भला कहां से होते....
🔷 साधु कुछ पल भट्ठी से हाथ सेंकने के बाद चला ही जाना चाहता था..... कि नेक दिल हलवाई से रहा न गया और एक प्याला गरम दूध और कुछ जलेबियां साधु को दें दी...
🔶 साधु ने गरम जलेबियां गरम दूध के साथ खाई और फिर हाथों को ऊपर की ओर उठाकर हलवाई के लिऐ प्रार्थना की..... फिर आगे चल दिया..... साधु बाबा का पेट भर चुका था दुनिया के दु:खों से बेपरवाह वे फिर इक नए जोश से बारिश के गंदले पानी के छींटे उड़ाता चला जा रहा था.......
🔷 वह इस बात से बेखबर था कि एक युवा नव विवाहिता जोड़ा भी वर्षा के जल से बचता बचाता उसके पीछे चला आ रहें है ...... एक बार इस मस्त साधु ने बारिश के गंदले पानी में जोर से लात मारी..... बारिश का पानी उड़ता हुआ सीधा पीछे आने वाली युवती के कपड़ों को भिगो गया उस औरत के कीमती कपड़े कीचड़ से लथपथ हो गये.....
🔶 उसके युवा पति से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई..... इसलिए वह आस्तीन चढ़ाकर आगे बढ़ा और साधु के कपड़ो से पकड़ कर कहने लगा अंधा है...... तुमको नज़र नहीं आता तेरी हरकत की वजह से मेरी पत्नी के कपड़े गीले हो गऐ हैं और कीचड़ से भर गऐ हैं.....
🔷 साधु हक्का-बक्का सा खड़ा था.... जबकि इस युवा को साधु का चुप रहना नाखुशगवार गुजर रहा था..... महिला ने आगे बढ़कर युवा के हाथों से साधु को छुड़ाना भी चाहा.... लेकिन युवा की आंखों से निकलती नफरत की चिंगारी देख वह भी फिर पीछे खिसकने पर मजबूर हो गई.....
🔶 राह चलते राहगीर भी उदासीनता से यह सब दृश्य देख रहे थे लेकिन युवा के गुस्से को देखकर किसी में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि उसे रोक पाते और आख़िर जवानी के नशे मे चूर इस युवक ने एक जोरदार थप्पड़ साधु के चेहरे पर जड़ दिया बूढ़ा मलंग थप्पड़ की ताब ना झेलता हुआ.... लड़खड़ाता हुऐ कीचड़ में जा पड़ा.....
🔷 युवक ने जब साधु को नीचे गिरता देखा तो मुस्कुराते हुए वहां से चल दिया.. बूढे साधु ने आकाश की ओर देखा और उसके होठों से निकला वाह मेरे भगवान कभी गरम दूध जलेबियां और कभी गरम थप्पड़....
🔶 लेकिन जो तू चाहे मुझे भी वही पसंद है........यह कहता हुआ वह एक बार फिर अपने रास्ते पर चल दिया.... दूसरी ओर वह युवा जोड़ा अपनी मस्ती को समर्पित अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो गया.....
🔷 थोड़ी ही दूर चलने के बाद वे एक मकान के सामने पहुंचकर रुक गए......वह अपने घर पहुंच गए थे.... वे युवा अपनी जेब से चाबी निकाल कर अपनी पत्नी से हंसी मजाक करते हुए ऊपर घर की सीढ़ियों तय कर रहा था....
🔶 बारिश के कारण सीढ़ियों पर फिसलन हो गई थी अचानक युवा का पैर फिसल गया और वह सीढ़ियों से नीचे गिरने लगा.... महिला ने बहुत जोर से शोर मचा कर लोगों का ध्यान अपने पति की ओर आकर्षित करने लगी जिसकी वजह से काफी लोग तुरंत सहायता के लिये युवा की ओर लपके.....
🔷 लेकिन देर हो चुकी थी युवक का सिर फट गया था और कुछ ही देर मे ज्यादा खून बह जाने के कारण इस नौजवान युवक की मौत हो चुकी थी कुछ लोगों ने दूर से आते साधु बाबा को देखा तो आपस में कानाफुसी होने लगीं कि निश्चित रूप से इस साधु बाबा ने थप्पड़ खाकर युवा को श्राप दिया है....
🔶 अन्यथा ऐसे नौजवान युवक का केवल सीढ़ियों से गिर कर मर जाना बड़े अचम्भे की बात लगती है..... कुछ मनचले युवकों ने यह बात सुनकर साधु बाबा को घेर लिया एक युवा कहने लगा कि आप कैसे भगवान के भक्त हैं जो केवल एक थप्पड़ के कारण युवा को श्राप दे बैठे......
🔷 भगवान के भक्त मे रोष व गुस्सा हरगिज़ नहीं होता ....आप तो जरा सी असुविधा पर भी धैर्य न कर सकें..... साधु बाबा कहने लगा भगवान की क़सम मैंने इस युवा को श्राप नहीं दिया....
🔶 अगर आप ने श्राप नहीं दिया तो ऐसा नौजवान युवा सीढ़ियों से गिरकर कैसे मर गया?
🔷 तब साधु बाबा ने दर्शकों से एक अनोखा सवाल किया कि आप में से कोई इस सब घटना का चश्मदीद गवाह मौजूद है? एक युवक ने आगे बढ़कर कहा..... हाँ मैं इस सब घटना का चश्मदीद गवाह हूँ
🔶 साधु ने अगला सवाल किया.....मेरे क़दमों से जो कीचड़ उछला था क्या उसने युवा के कपड़े को दागी किया था? युवा बोला..... नहीं.... लेकिन महिला के कपड़े जरूर खराब हुए थे
🔷 मलंग ने युवक की बाँहों को थामते हुए पूछा.. फिर युवक ने मुझे क्यों मारा? युवा कहने लगा...... क्योंकि वह युवा इस महिला का प्रेमी था और यह बर्दाश्त नहीं कर सका कि कोई उसके प्रेमी के कपड़ों को गंदा करे..... इसलिए उस युवक ने आपको मारा....
🔶 युवा बात सुनकर साधु बाबा ने एक जोरदार ठहाका बुलंद किया और यह कहता हुआ वहाँ से विदा हो गया..... तो भगवान की क़सम मैंने श्राप कभी किसी को नहीं दिया लेकिन कोई है जो मुझ से प्रेम रखता है....
🔷 अगर उसका यार सहन नहीं कर सका तो मेरे यार को कैसे बर्दाश्त होगा कि कोई मुझे मारे और... वह इतना शक्तिशाली है कि दुनिया का बड़े से बड़ा राजा भी उसकी लाठी से डरता है ....
🔶 उस परमात्मा की लाठी दीख़ती नही और आवाज भी नही करती लेकिन पडती हैं तों बहुत दर्द देंती हैं।
🔷 हमारें कर्म ही हमें उसकी लाठ़ी से बचातें हैं बस़ कर्म अच्छें होंने चाहीये.....