🔷 कहा जाता है-‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’ यह साधारण सी लोकोक्ति एक असाधारण सत्य को प्रकट करती है और वह है, मनुष्य के मनोबल की महिमा। जिसका मन हार जाता है, वह बहुत कुछ शक्तिशाली होने पर भी पराजित हो जाता है और शक्ति न होते हुए भी जो मन से हार नहीं मानता, उसको कोई शक्ति परास्त नहीं कर सकती।
🔶 जो दूसरों के दोष देखने, उनकी खिल्ली उड़ाने तथा आलोचना करने में ही अपने समय एवं शक्तियों का दुरुपयोग करते रहेंगे, उन्हें अपनी उन्नति के विषय में विचार करने का अवकाश ही कब मिलेगा। समय तो उतना ही है और शक्तियाँ भी वही। उन्हें चाहे तो परदोष दर्शन और निन्दा में लगा लीजिए अथवा अपने गुणों के विकास में लगाकर उन्नति कर लीजिए।
🔷 यों तो भाग्य में लिखा हुआ नहीं मिटता, पर भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है और हिम्मत बाँधकर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। आलसियों का भाग्य असफल बना रहता है और कर्मवीरों का भाग्य उन्हें निरन्तर सफलता का पुरस्कार प्रदान किया करता है।
🔶 जो दूसरों के दोष देखने, उनकी खिल्ली उड़ाने तथा आलोचना करने में ही अपने समय एवं शक्तियों का दुरुपयोग करते रहेंगे, उन्हें अपनी उन्नति के विषय में विचार करने का अवकाश ही कब मिलेगा। समय तो उतना ही है और शक्तियाँ भी वही। उन्हें चाहे तो परदोष दर्शन और निन्दा में लगा लीजिए अथवा अपने गुणों के विकास में लगाकर उन्नति कर लीजिए।
🔷 यों तो भाग्य में लिखा हुआ नहीं मिटता, पर भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है और हिम्मत बाँधकर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। आलसियों का भाग्य असफल बना रहता है और कर्मवीरों का भाग्य उन्हें निरन्तर सफलता का पुरस्कार प्रदान किया करता है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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