गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

👉 इन 5 कामों में देर करना अच्छी बात है

कबीरदास का एक बहुत ही प्रसिद्ध दोहा है-

काल करे सो आज कर, आज करै सो अब।

यानी जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए और जो काम आज करना है, उसे अभी कर लेना चाहिए। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि किसी भी काम को करने में देर नहीं करना चाहिए। ये बात सभी कामों के लिए सही नहीं है। स्त्री और पुरुष, दोनों के लिए कुछ काम ऐसे भी हैं, जिनमें देर करना अच्छी बात है।

महाभारत के एक श्लोक में बताया है कि हमें किन कामों को टालने की कोशिश करनी चाहिए…

रागे दर्पे च माने च द्रोहे पापे च कर्मणि।
अप्रिये चैव कर्तव्ये चिरकारी प्रशस्यते।।

ये श्लोक महाभारत के शांति पर्व में दिया गया है। इसमें 5 काम ऐसे बताए गए हैं, जिनमें देर करने पर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं।

1 पहला काम है राग
इन पांच कामों में पहला काम है राग यानी अत्यधिक मोह, अत्यधिक जोश, अत्यधिक वासना। राग एक बुराई है। इससे बचना चाहिए। जब भी मन में राग भाव जागे तो कुछ समय के लिए शांत हो जाना चाहिए। अधिक जोश में किया गया काम बिगड़ भी सकता है। वासना को काबू न किया जाए तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। किसी के प्रति मोह बढ़ाने में भी कुछ समय रुक जाना चाहिए। राग भाव जागने पर कुछ देर रुकेंगे तो ये विचार शांत हो सकते हैं और हम बुराई से बच जाएंगे।

2 दूसरा काम है घमंड
दर्प यानी घमंड ऐसी बुराई है जो व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। घमंड के कारण ही रावण और दुर्योधन का अंत हुआ था। घमंड का भाव मन में आते ही एकदम प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। कुछ देर रुक जाएं। ऐसा करने पर हो सकता है कि आपके मन से घमंड का भाव ही खत्म हो जाए और आप इस बुराई से बच जाएं।

3 तीसरा काम है लड़ाई करना
यदि कोई ताकतवर इंसान किसी कमजोर से भी लड़ाई करेगा तो कुछ नुकसान तो ताकतवर को भी होता है। लड़ाई करने से पहले थोड़ी देर रुक जाना चाहिए। ऐसा करने पर भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से हम बच सकते हैं। आपसी रिश्तों में वाद-विवाद होते रहते हैं, लेकिन झगड़े की स्थिति आ जाए तो कुछ देर शांत हो जाना चाहिए। झगड़ा भी शांत हो जाएगा।

4 चौथा काम है पाप करना
यदि मन में कोई गलत काम यानी पाप करने के लिए विचार बन रहे हैं तो ये परेशानी की बात है। गलत काम जैसे चोरी करना, स्त्रियों का अपमान करना, धर्म के विरुद्ध काम करना आदि। ये काम करने से पहले थोड़ी देर रुक जाएंगे तो मन से गलत काम करने के विचार खत्म हो सकते हैं। पाप कर्म से व्यक्ति का सुख और पुण्य नष्ट हो जाता है।

5 पांचवां काम है दूसरों को नुकसान पहुंचाना
यदि हम किसी का नुकसान करने की योजना बना रहे हैं तो इस योजना पर काम करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए। इस काम में जितनी देर करेंगे, उतना अच्छा रहेगा। किसी को नुकसान पहुंचाना अधर्म है और इससे बचना चाहिए। पुरानी कहावत है जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, एक दिन वे ही उस गड्ढे में गिरते हैं। इसीलिए दूसरों का अहित करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए।

👉 आत्मचिंतन के क्षण 6 Dec 2018


कहते हैं कि शनिश्चर और राहू की दशा सबसे खराब होती है और जब वे आती हैं तो बर्बाद कर देती हैं। इस कथन में कितनी सचाई है यह कहना कठिन है, पर यह नितान्त सत्य है कि आलस्य को शनिश्चर और प्रमाद को-समय की बर्बादी को-राहू माना जाय तो इनकी छाया पड़ने मात्र से मनुष्य की बर्बादी का पूरा-पूरा सरंजाम बन जाता है।

दुःख और कठिनाइयेां में ही सच्चे हृदय से परमात्मा की याद आती है। सुख-सुविधाओं में तो भोग और तृप्ति की ही भावना बनी रहती है। इसलिए उचित यही है कि विपत्तियों का सच्चे हृदय से स्वागत करें। परमात्मा से माँगने लायक एक ही वरदान है कि वह कष्ट दे, मुसीबतें दें, ताकि मनुष्य अपने लक्ष्य के प्रति सावधान व सजग बना रहे।

निराशा वह मानवीय दुर्गुण है, जो बुद्धि को भ्रमित कर देती है। मानसिक शक्तियों को लुंज-पुंज कर देती है। ऐसा व्यक्ति आधे मन से डरा-डरा सा कार्य करेगा। ऐसी अवस्था में सफलता प्राप्त कर सकना संभव ही कहाँ होगा? जहाँ आशा नहीं वहाँ प्रयत्न नहीं। बिना प्रयत्न के ध्येय की प्राप्ति न आज तक कोई कर सका है, न आगे संभव है।

पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 यही माया है (Kahani)

एक दिन नारद ने भगवान से पूछा- “माया कैसी है?” भगवान मुस्करा दिये और बोले- “किसी दिन प्रत्यक्ष दिखा देंगे।"

अवसर मिलने पर भगवान नारद को साथ लेकर मृत्युलोक को चल दिये। रास्ते में एक लम्बा रेगिस्तान पड़ा। भगवान ने कहा- “नारद! बहुत जोर की प्यास लगी है। कहीं से थोड़ा पानी लाओ।”

नारद कमंडल लेकर चल दिये। थोड़ा आगे चलने पर नींद आ गई और एक खजूर के झुरमुट में सो गये। पानी लाने की याद ही न रही।

सोते ही एक मीठा सपना देखा किसी वनवासी के दरवाजे पर पहुँचे हैं। द्वार खटखटाया तो एक सुन्दर युवती निकली। नारद को सुहावनी लगी सो घर में चले गये और इधर उधर की वार्ता में निमग्न हो गये। नारद ने अपना परिचय दिया और भील कन्या से विवाह का प्रस्ताव किया। उसका परिवार सहमत हो गया और तुरन्त साज सामान इकट्ठा करके विवाह कर दिया। नारद सुन्दर पत्नी के साथ बड़े आनन्दपूर्वक दिन बिताने लगे। कुछ ही दिनों में क्रमशः उनके तीन पुत्र भी हो गये।

एक दिन भयंकर वर्षा हुई झोंपड़ी के पास रहने वाली नदी में बाढ़ आ गई। नारद अपने परिवार को लेकर बचने के लिए भागे। पीठ और कंधे पर लदे हुए तीनों बच्चे उस भयंकर बाढ़ में बह गये। यहाँ तक कि पत्नी का हाथ पकड़ने पर भी वह रुक न सकी और उसी बाढ़ में बह गई जिसमें उसके बच्चे बह गये थे।

नारद किनारे पर निकले तो आए पर सारा परिवार गँवा बैठने पर फूट-फूट कर रोने लगे। सोने और सपने में एक घण्टा बीत चुका था। उनके मुख से रुदन की आवाज अब भी निकल रही थी। पर झुरमुट में औंधे मुँह ही उनींदे पड़े हुए थे।

भगवान सब समझ रहे थे। वे नारद को ढूँढ़ते हुए खजूर के झुरमुट में पहुँचे उन्हें सोते से जगाया। आँसू पोंछे और रुदन रुकवाया। नारद हड़बड़ा कर बैठ गये।

भगवान ने पूछा- ‘‘हमारे लिए पानी लाने गये थे सो क्या हुआ?” नारद ने सपने में परिवार बसने और बाढ़ में बहने के दृश्य में समय चला जाने के कारण क्षमा माँगी।

भगवान ने कहा- ‘‘देखा नारद! यही माया है।”

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 6 December 2018

👉 आज का सद्चिंतन 6 December 2018


👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...