🔴 मित्रो ! जो हविस आपके ऊपर हावी हो गई है उससे पीछे हटिए, तृष्णाओं से पीछे हटिए और उपासना के उस स्तर पर पहुँचने की कोशिश कीजिए जहाँ कि आपके भीतर से, व्यक्तित्व में से श्रेष्ठता का विकास होता है। भक्ति यही है। अगर आपके भीतर से श्रेष्ठता का विकास हुआ हो, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपको जनता का वरदान मिलेगा। चारों ओर से इतने वरदान मिलेंगे कि जिसको पा करके आप निहाल हो जाएँगे। भक्ति का यही इतिहास है, भक्त का यही इतिहास है। भगवान के अनुग्रह का, गायत्री माता के अनुग्रह का यही इतिहास है, यही इतिहास था और यही इतिहास रहेगा।
🔵 अगर इस रहस्य को, सार को समझ लें, तो आपका यहाँ आना सार्थक हो जाए। आपका गायत्री अनुष्ठान सार्थक हो जाए, अगर आप इस सिद्धांत को समझकर जाएँ कि हमको सद्गुणों का विकास करने के लिए तपश्चर्या कराई जा रही है और अगर हमारी यह तपश्चर्या सही साबित हुई तो भगवान हमको यहाँ से विदा करते समय गुण, कर्म और स्वभाव की विशेषता देंगे और हमको चरित्रवान व्यक्ति के तरीके से विकसित करेंगे। चरित्रवान व्यक्ति जब विकसित होता है, तब उदार हो जाता है, परमार्थ-परायण हो जाता है, लोकसेवी हो जाता है, जनहितकारी हो जाता है और अपने क्षुद्र स्वार्थ को देखना शुरू कर देता है। आपकी अगर ऐसी मनःस्थिति हो जाए तो मैं कहूँगा कि आपने सच्ची उपासना की और भगवान् का वरदान पाया।
🔴 आप सच्चा वरदान पा करके निहाल हो सकते हैं, जिससे कि आज तक के सारे के सारे भक्त निहाल होते रहे हैं। मैंने इसी रास्ते पर चलने की कोशिश की और अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से भगवान के वरदानों को देखा और पाया। मैं चाहता था कि आप लोग जो इस शिविर में आए हैं, जो वसन्त के निकट जा पहुँचा है, यह प्रेरणा लेकर जाएँ कि हम पर भगवान कृपा करें कि हमको श्रेष्ठता के लिए, आदर्शों के लिए कुछ त्याग और बलिदान करने की, चरित्र को श्रेष्ठ और उज्ज्वल बनाने के लिए प्रेरणा भीतर से मिले और बाहर से मिले। अगर ऐसी कुछ प्रेरणा आपको मिले तो उसके फलस्वरूप आप जो कुछ भी प्राप्त करेंगे, वह इतना शानदार होगा कि जिससे आप निहाल हो जाएँ, आपका देश निहाल हो जाए, गायत्री माता निहाल हो जाएँ, हम निहाल हो जाएँ और यह शिविर निहाल हो जाए अगर आप इस तरह की कुछ प्राप्ति और उपलब्धि कर सकें।
आज की बात समाप्त।
ॐ शान्ति।
🌹 समाप्त
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य (अमृतवाणी)
🔵 अगर इस रहस्य को, सार को समझ लें, तो आपका यहाँ आना सार्थक हो जाए। आपका गायत्री अनुष्ठान सार्थक हो जाए, अगर आप इस सिद्धांत को समझकर जाएँ कि हमको सद्गुणों का विकास करने के लिए तपश्चर्या कराई जा रही है और अगर हमारी यह तपश्चर्या सही साबित हुई तो भगवान हमको यहाँ से विदा करते समय गुण, कर्म और स्वभाव की विशेषता देंगे और हमको चरित्रवान व्यक्ति के तरीके से विकसित करेंगे। चरित्रवान व्यक्ति जब विकसित होता है, तब उदार हो जाता है, परमार्थ-परायण हो जाता है, लोकसेवी हो जाता है, जनहितकारी हो जाता है और अपने क्षुद्र स्वार्थ को देखना शुरू कर देता है। आपकी अगर ऐसी मनःस्थिति हो जाए तो मैं कहूँगा कि आपने सच्ची उपासना की और भगवान् का वरदान पाया।
🔴 आप सच्चा वरदान पा करके निहाल हो सकते हैं, जिससे कि आज तक के सारे के सारे भक्त निहाल होते रहे हैं। मैंने इसी रास्ते पर चलने की कोशिश की और अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से भगवान के वरदानों को देखा और पाया। मैं चाहता था कि आप लोग जो इस शिविर में आए हैं, जो वसन्त के निकट जा पहुँचा है, यह प्रेरणा लेकर जाएँ कि हम पर भगवान कृपा करें कि हमको श्रेष्ठता के लिए, आदर्शों के लिए कुछ त्याग और बलिदान करने की, चरित्र को श्रेष्ठ और उज्ज्वल बनाने के लिए प्रेरणा भीतर से मिले और बाहर से मिले। अगर ऐसी कुछ प्रेरणा आपको मिले तो उसके फलस्वरूप आप जो कुछ भी प्राप्त करेंगे, वह इतना शानदार होगा कि जिससे आप निहाल हो जाएँ, आपका देश निहाल हो जाए, गायत्री माता निहाल हो जाएँ, हम निहाल हो जाएँ और यह शिविर निहाल हो जाए अगर आप इस तरह की कुछ प्राप्ति और उपलब्धि कर सकें।
आज की बात समाप्त।
ॐ शान्ति।
🌹 समाप्त
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य (अमृतवाणी)