गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

👉 आध्यात्मिक शिक्षण क्या है? भाग 11

हम विचार करते रहते हैं कि कलुषित चूने जैसा, लोगों को खा डालने वाला; दीवार पोतने के काम आने वाला; जहाँ भी डाल दें, वहीं खाली जमीन बना देने वाला बेकार का चूना कपड़े पर डाल दें तो कपड़े को जला दें। मेरा ऐसे चूने जैसा निकृष्ट जीवन यदि हल्दी के साथ मिल गया होता तो रोली बन गया होता। रोली, जिसे हम रोज मस्तक में लगाते हैं और इन्हीं भावनाओं में बहते हुए चले जाते हैं और हमारी उपासना न जाने क्या से क्या हमें दे जाती है?

मित्रो! जब मैं पूजा पाठ करता हूँ, तो इतना हलका फील करता हूँ कि आप जानते नहीं। भावनाओं के प्रवाह, भावनाओं की तरंगें मेरे अंदर बहती रहती हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि मेरा सारे का सारा मस्तिष्क भाव विभोर होता हुआ चला जाता है। मेरा भगवान् हँसता हुआ जाता है और मैं भगवान् की गोदी में बैठा बैठा पूजा करता रहता हूँ। जब मैं कर्मकाण्ड में बैठा रहता हूँ, तो उसमें भावनाओं का सम्मिश्रण होने के बाद क्या मजा आता है? यही पूजा करने की विधि मैं आपको सिखाने वाला था।

मित्रो! उपासना अगला वाला हिस्सा नाम जप के बाद शुरू होता है। इसमें नाम जप के साथ साथ ध्यान का समावेश होता है। ‘धी’ मन की एकाग्रता का प्रतीक है। मस्तिष्क में न जाने कितनी धारायें बहती रहती हैं, कितने कंपन बहते रहते हैं। इसके भीतर जितने प्रशांत प्रवाह बहते हैं, उनका यदि एकीकरण कर लिया जाये, तो न जाने क्या से क्या चमत्कार उत्पन्न हो जाये।

क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य

शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए 
Shantikunj WhatsApp 8439014110 

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024

All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform > 👉 शांतिकुंज हरिद्वार के प्रेरणादायक वीडियो देखने के लिए Youtube Channel `S...