एक बार एक संत अपने चेले के साथ किसी कीचड़ भरे रास्ते पर जा रहा था, उसी रास्ते पर एक अमीरजादा अपनी प्रेमिका के साथ जा रहा था, जब संत उस के पास से गुजरा तो कुछ छींटे अमीरजादे की प्रेमिका पर पड़ गए।
अमीरजादे ने गुस्से में दो तीन चांटे उस संत को जड़ दिए, संत चुपचाप आगे चला गया, संत के चेले ने पूछा आप ने उसे कुछ कहा क्यों नहीं, इस पर भी संत चुप रहे, पीछे चलता अमीरजादा अचानक फिसल कर कीचड़ में गिर गया और बुरी तरह से लिबड़ गया, साथ ही उसकी एक बाजु भी टूट गई, तब संत ने अपने चेले से कहा देख:- जैसे वो 'अमीरजादा' अपनी 'यार' की तौहीन नहीं देख सका, ठीक उसी तरह ऊपर बैठा "वो ऊपर वाला" भी अपने 'यार' की तौहीन नहीं देख सकता।
अमीरजादे ने गुस्से में दो तीन चांटे उस संत को जड़ दिए, संत चुपचाप आगे चला गया, संत के चेले ने पूछा आप ने उसे कुछ कहा क्यों नहीं, इस पर भी संत चुप रहे, पीछे चलता अमीरजादा अचानक फिसल कर कीचड़ में गिर गया और बुरी तरह से लिबड़ गया, साथ ही उसकी एक बाजु भी टूट गई, तब संत ने अपने चेले से कहा देख:- जैसे वो 'अमीरजादा' अपनी 'यार' की तौहीन नहीं देख सका, ठीक उसी तरह ऊपर बैठा "वो ऊपर वाला" भी अपने 'यार' की तौहीन नहीं देख सकता।