🔹 हमारे दूसरे आध्यात्मिक गुरु, जो हिमालयवासी हैं और जो सूक्ष्म-शरीरधारी हैं, उन्होंने हमारे घर में प्रकाश के रूप में आकर दीक्षा दी। उन्होंने हमें पूर्व जन्म की बातें दिखलाईं। उसके बाद उन्होंने हमें गायत्री मंत्र की दीक्षा दी। हमने कहा कि गायत्री मंत्र की दीक्षा तो हम पहले से लिए हुए हैं, फिर दोबारा देने का क्या अर्थ है? उन्होंने कहा कि आपके पहले गुरु ने यह कहा था कि यह ब्राह्मणों की गायत्री है। अब हम यह बतलाते हैं कि बोओ और काटो। इस मंत्र के अनुसार हमने अपने पिता की सम्पत्ति को भी लोकमंगल में लगा दिया। हमने बोया और पाया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके अलावा अन्य चार चीजों को भगवान् के खेत में लगाना चाहिए। समय, श्रम, बुद्धि-जो भगवान् से मिली है। धन वह है, जो संसार में कमाया जाता है। ये चारों चीजें हमने समाज में लगा दीं। इसके द्वारा हमारी पूजा, उपासना एवं साधना हो गयी। हमारे ब्राह्मण-जीवन का यही चमत्कार है। यही मेरी पूजा है।
🔸 समय के बारे में आप देखना चाहें, तो इन पचहत्तर वर्षों में हमने क्या किया है, कितना किया है, वह आप देख सकते हैं। हमने भगवान् यानी जो अच्छाइयों का समुच्चय है, उसे समर्पण करके यह सब किया है। हमारी उपासना और साधना ऐसी है कि हमने सारी जिन्दगी भर धोबी के तरीके से अपने जीवन को धोया है और अपनी कमियों को चुन-चुनकर निकालने का प्रयत्न किया है। आराधना हमने समाज को ऊँचा उठाने के लिए की है। आप यहाँ आइये और देखिये, अपने मुख से अपने बारे में कहना ठीक बात नहीं है। आप यहाँ आइये और दूसरों के मुख से सुनिये। हम सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, असामान्य व्यक्ति हैं। यह हमें उपासना, साधना और आराधना के द्वारा मिला है। आप अगर इन तीनों चीजों का समन्वय अपने जीवन में करेंगे, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपको साधना से सिद्धि अवश्य मिलेगी।
🔸 समय के बारे में आप देखना चाहें, तो इन पचहत्तर वर्षों में हमने क्या किया है, कितना किया है, वह आप देख सकते हैं। हमने भगवान् यानी जो अच्छाइयों का समुच्चय है, उसे समर्पण करके यह सब किया है। हमारी उपासना और साधना ऐसी है कि हमने सारी जिन्दगी भर धोबी के तरीके से अपने जीवन को धोया है और अपनी कमियों को चुन-चुनकर निकालने का प्रयत्न किया है। आराधना हमने समाज को ऊँचा उठाने के लिए की है। आप यहाँ आइये और देखिये, अपने मुख से अपने बारे में कहना ठीक बात नहीं है। आप यहाँ आइये और दूसरों के मुख से सुनिये। हम सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, असामान्य व्यक्ति हैं। यह हमें उपासना, साधना और आराधना के द्वारा मिला है। आप अगर इन तीनों चीजों का समन्वय अपने जीवन में करेंगे, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपको साधना से सिद्धि अवश्य मिलेगी।
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🔹 हमारे जो भी सहयोगी, सखा, सहचर एवं मित्र हैं, उनसे हम यही कहना चाहते हैं कि आप केवल अपने तथा अपने परिवार के लिए ही खर्च मत कीजिए, वरन् कुछ हिस्सा भगवान् के लिए भी खर्च कीजिए। साथ ही हम यह भी कहते हैं कि बोइये और काटिये। फिर देखिये कि जीवन में क्या-क्या चमत्कार होते हैं। आप जनहित में, लोकमंगल में, पिछड़ों को ऊँचा उठाने में अपना श्रम, समय, साधन लगाएँ। अगर आप इतना करेंगे, तो विश्वास रखिये आपको साधना से सिद्धि मिल सकती है। हमने इसी आधार पर पाया है और आप भी पा सकेंगे, परन्तु आपको सही रूप से इन तीनों को पूरा करना होगा। आपकी साधना तब तक सफल नहीं होगी, जब तक आप हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलेंगे। यदि आप हमारे कंधे से कंधा मिलाकर और कदम से कदम मिलाकर चल सकें, तो हम आपको यकीन दिलाते हैं कि आपका जीवन धन्य हो जाएगा, पीढ़ियाँ आपको श्रद्धापूर्वक याद रखेंगी।
.....आज की बात समाप्त। ॐ शान्तिः
परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी