शनिवार, 3 अगस्त 2024

👉 उपासना, साधना व आराधना (भाग 8)

🔹 और क्या था हमारे पास? हमारे पास थी भावना-संवेदना यह भी हमने अपने कुटुम्बियों के लिए, बेटे-बेटी के लिए नहीं लगाई। हमने अपनी भावना एवं संवेदना के माध्यम से इस संसार में रहने वाले व्यक्तियों के दुःखों के निवारण के लिए हमेशा उपयोग किया। हमने हमेशा यह सोचा कि हमारे पास कुछ है, तो उसे किस तरह से बाँट सकते हैं? अगर किसी के पास दुःख है, तो उसे किस तरह से दूर कर सकते हैं। यही हमने अपने पूरे जीवनकाल में किया है। इसके अलावा जो भी धन था, उसे भी भगवान् के कार्य में खर्च कर दिया। इससे हमें बहुत मिला, इतना अधिक मिला कि हम आपको बतला नहीं सकते। हमें लोग कितना प्यार करते हैं, यह आपको नहीं मालूम।

🔸 लोग यहाँ आते हैं, तो यह कहते हैं कि हमें गुरुजी का दर्शन मिल जाता, तो कितना अच्छा होता। यह क्या है? यह है हमारा प्यार, मोहब्बत, जो हमने उन्हें दी है तथा उनसे हमने पायी है। गाँधी जी ने भी दिया था एवं उन्होंने भी पाया है। हमने तो कहीं अधिक पाया है। मरने के बाद तो कितने ही व्यक्तियों की लोग पूजा करते हैं। भगवान् बुद्ध की पूजा करते हैं। मरने के बाद भगवान् श्रीकृष्ण की जय बोलते हैं, जबकि उस समय लोगों ने उन्हें गालियाँ दी थीं। हमारे मरने के बाद कोई आरती उतारेगा कि नहीं, मैं यह नहीं कह सकता, परन्तु आज कितने लोगों ने आरती उतारी है, प्यार किया है, इसे हम बतला नहीं सकते। यह क्या हो गया? यह है हमारा ‘बोया एवं काटा’ का सिद्धान्त। यह है हमारी आराधना-समाज के लिए, भगवान् के लिए।

🔹 मित्रो, हमने पत्थर की मूर्ति के लिए नहीं, वरन् समाज के लिए काम किया है। पत्थर की मूर्ति को भगवान् नहीं कहते हैं। समाज को ही भगवान् कहते हैं। हमने ऐसा ही किया है। हमें दो मालियों की कहानी हमेशा याद रहती है। एक राजा ने एक बगीचा एक माली को दिया तथा दूसरा बगीचा दूसरे माली को। एक ने तो बगीचे में राजा का चित्र लगा दिया और नित्य चन्दन लगाता, आरती उतारता तथा एक सौ आठ परिक्रमा करता रहा। इसके कारण बगीचे का कार्य उपेक्षित पड़ा रहा। बगीचा सूखने लगा।

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🔸 दूसरा माली तो राजा का नाम भी भूल गया, परन्तु वह निरन्तर बगीचे में खाद-पानी डालने, निराई करने का काम करता रहा। इससे उसका बगीचा हरियाली से भरा-पूरा होता चला गया। राजा एक वर्ष बाद बगीचा देखने आया, तो पहले वाले माली को उसने हटा दिया, जो एक सौ आठ परिक्रमा करता और आरती उतारता था। दूसरे उस माली का अभिनन्दन किया, उसे ऊँचा उठा दिया, जिसने वास्तव में बगीचे को सुन्दर बनाने का प्रयास किया था।

..... क्रमशः जारी
✍🏻 पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी

👉 उपासना, साधना व आराधना (भाग 7)

🔸 शरीर, बुद्धि और भावना- ये तीन चीजें जो भगवान् ने दी हैं। यह तीन शरीर-स्थूल सूक्ष्म और कारण के प्रतीक हैं। इसमें तीन चीजें भरी रहती हैं- स्थूल में श्रम, समय। सूक्ष्म में मन, बुद्धि। कारण में भावना। इसके अलावा जो चौथी चीज है, वह है धन-सम्पदा जो मनुष्य कमाता है। इसे भगवान् नहीं देता है। भगवान् न किसी को गरीब बनाता है, न अमीर। भगवान् न किसी को धनवान बनाता है, न कंगाल बनाता है। यह तेरा बनाया हुआ है, इसे तू बोना शुरू कर। हमने कहा कि कहाँ बोया जाए? उन्होंने कहा कि भगवान् के खेत में। हमने पूछा कि भगवान् कहाँ है और उनका खेत कहाँ है?

🔹 उन्होंने हमें इशारा करके बतलाया कि यह सारा विश्व ही भगवान् का खेत है। यह भगवान् विराट् है। इसे ही विराट् ब्रह्म कहते हैं। अर्जुन को भगवान् श्रीकृष्ण ने इसी विराट् ब्रह्म का दर्शन कराया था। उन्होंने दिव्यचक्षु से उनका दर्शन कराया था। यही उन्होंने कौशल्या जी को दिखाया था। हमारे गुरु ने कहा कि जो कुछ भी करना हो, इसी समग्र सृष्टि के लिए करना चाहिए। यही भगवान् की वास्तविक पूजा कहलाती है। इसे ही आराधना कहते हैं।

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🔸 उन्होंने हमें आदेश दिया कि तू इसी विराट् ब्रह्म के खेत में बो। अर्थात् जनसमाज की सेवा कर। जनसमाज का कल्याण करने, उसे ऊँचा उठाने, समुन्नत और सुसंस्कृत बनाने में अपनी समस्त शक्तियाँ एवं सम्पदा लगा, फिर आगे देखना कि यह सौ गुनी हो जाएँगी। जो भी तीन-चार चीजें तेरे पास हैं, उसे लगा दे, तुझे ऋद्धि-सिद्धियाँ मिल जाएँगी। यह सब तेरे पीछे घूमेंगी। तू मालदार हो जाएगा। अब हम तैयार हो गये। हमने विचार दृढ़ बना लिया। उन्होंने पूछा कि क्या चीजें हैं तेरे पास? हमने कहा कि हमारा शरीर है। हमने सूर्योदय से पहले भगवान् का नाम लिया है अर्थात् भजन किया है, बाकी समय हमने भगवान् का काम किया है। सूर्य निकलने से लेकर सूर्य डूबने तक सारा समय भगवान् के लिए लगाया, समाज के लिए लगाया है।

🔹 दूसरी, बुद्धि है हमारे पास। आज लोगों की बुद्धि न जाने किस-किस गलत काम में लग रही है। आज लोग अपनी बुद्धि को मिलावट करने, तस्करी करने, गलत काम करने में खर्च कर रहे हैं। हमने निश्चय किया कि हम अपनी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर ले जाएँगे तथा इससे समाज, देश को ऊँचा उठाने का प्रयास करेंगे। हमने अपनी अक्ल एवं बुद्धि को यानी अपने सारे-के-सारे मन को भगवान् के कार्य में लगाया।

..... क्रमशः जारी
✍🏻 पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी

👉 उपासना, साधना व आराधना (भाग 6)

🔹 सादा जीवन के माने है- कसा हुआ जीवन। आपको अपना जीवन सादा बनाना होगा। माल- मजा उड़ाते हुए, लालची और लोभी रहते हुए आप चाहें कि राम नाम सार्थक हो जाएगा? नहीं कभी सार्थक नहीं होगा। हमारे गुरु ने, हमारे महापुरुषों ने हमें यही सिखाया है कि जो आदमी महान बने, ऊँचे उठे हैं, उन सभी ने अपने आपको तपाया है। आप किसी भी महापुरुष का इतिहास उठाकर पढ़कर देखें, तो पायेंगे कि अपने को तपाने के बाद ही उन्होंने वर्चस्व प्राप्त किया और फिर जहाँ भी वे गये चमत्कार करते चले गये।

🔸 तलवार से सिर काटने के लिए उसे तेज करना पड़ता है, पत्थर पर घिसना पड़ता है। आपको भी प्रगति करने के लिए अपने आपको तपाना होगा, घिसना होगा। हमने एक ही चीज सीखी है कि अपने आपको अधिक से अधिक तपाएँ, अधिक से अधिक घिसें, ताकि हम ज्यादा- से समाज के काम आ सकें। समाज की सेवा करना ही हमारा लक्ष्य है। अगर आप भी ऐसा कर सकें, तो बहुत फायदा होगा, जैसा कि हमें हुआ है।

🔹 साधना के पश्चात् आराधना की बात बताता हूँ आपको कि आराधना क्या है और किसकी की जानी चाहिए? आराधना कहते हैं- समाजसेवा को, जन कल्याण को। सेवाधर्म वह नकद धर्म है, जो हाथों हाथ फल देता है। इसमें पहले बोना पड़ता है। आज से साठ वर्ष पूर्व हमारे पूज्य गुरुदेव ने हमारे घर पर आकर दीक्षा दी और यह कहा कि तुम बोने और काटने की बात मत भूलना। कहीं से भी कोई चीज फोकट में नहीं मिलती है, चाहे वे गुरु हों या भगवान् हों। हाँ, यह हो सकता है कि बोया जाए और काटा जाए। हम मक्के का एक बीज बोते हैं, तो न जाने कितने हजार हो जाते हैं। वही बाजरे के साथ भी होता है।

🔸 उन्होंने हमसे कहा कि बेटे, फोकट में खाने की विद्या एवं माँगने की विद्या छोड़कर बोने और काटने की विद्या सीख, इससे ही तुम्हें फायदा होगा। उन्होंने इसके लिए विधान भी बतलाया कि तुम्हें चौबीस साल तक गायत्री के महापुरश्चरण करने होंगे। इस समय जौ की रोटी एवं छाछ पर रहना होगा। उन्होंने जो भी विधि हमें बतायी, उसे हमने नोट कर लिया था। इसमें उन्होंने हमें एक नयी विधि बतलायी। वह विधि बोने और काटने की थी। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी तेरे पास है, उसे भगवान् के खेत में बो दो। उन्होंने यह भी कहा कि तीन चीजें भगवान् की दी हुई हैं और एक चीज तुम्हारी कमाई हुई है।

..... क्रमशः जारी
✍🏻 पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी

http://hindi.awgp.org/gayatri/AWGP_Offers/Literature_Life_Transforming/Lectures/112

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024

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