बुधवार, 7 जून 2017

👉संयम का संगीत

🔴 जीवन का सत्य संयम के संगीत से प्रकट होता है। जो किसी भी दिशा में अति करते हैं, वे मार्ग से भटक जाते हैं। भटका हुआ मानव-मन अतियों में डोलता और चलता है। एक अति से दूसरी अति पर उसे ले जाना बहुत आसान है। उसका स्वभाव ही कुछ ऐसा है। शरीर के प्रति जो बहुत आसक्त है, वही व्यक्ति प्रतिक्रिया में शरीर के प्रति बहुत क्रूर और कठोर भी हो सकता है। इस कठोरता और क्रूरता में भी वही आसक्ति छिपी होती है। जैसा वह पहले शरीर से बँधा होता है। उसका मन पहले भी शरीर के ही चिंतन में लगा और अब बदली हुई विपरीत दशा में उसका चिंतन शरीर पर ही क्रेंदित होता है। इस भाँति विपरीत अति पर जाकर मन धोखा दे देता है। इस धोखाधड़ी में वह अपनी मूलवृत्ति को बचा लेता है। सदा ही अतियों में चलते रहने की इस मानसिक वृत्ति का कारण यही है। विपरीत अतियों में चलने की यह मन की प्रवृत्ति ही असंयम है।

🔵 जबकि संयम दो विपरीत अतियों के बीच मध्य बिंदु की खोज है। इस मध्य बिंदु पर थिर होने की कला का नाम ही ‘संयम’ है। शरीर के प्रति राग और विराग का मध्य खोजने और उसमें स्थिर होने से वीतरागता का संयम उपलब्ध होता है। संसार के प्रति आसक्ति और विरक्ति का मध्य खोजने और उसमें स्थिर होने से संन्यास का संयम उपलब्ध होता है और इस भाँति जो समस्त अतियों में संयम को साधता है, वह अतियों से अतीत हो जाता है और उसके जीवन में संयम का सुरीला संगीत गूँजने लगता है।

 🔴 संयम के इस सुरीले संगीत में जीवन का समस्त कोलाहल विलीन हो जाता है। इस कोलाहल को जन्म देने वाली ईर्ष्या, द्वेष एवं प्रपंच की सारी वृत्तियाँ और इन सबका जन्मदाता मन भी संयम के इस सुहाने संगीत में अपना अस्तित्व खो बैठता है। फिर तो केवल वही निनादित होता है, जो सदा-सदैव से ही स्वयं के भीतर निनादित हो रहा है। संयम के संगीत का यह सुरीलापन ही तो निर्वाण है, मोक्ष है, परब्रह्म है। यही जीवन का सत्य है।

🌹 डॉ प्रणव पंड्या
🌹 जीवन पथ के प्रदीप पृष्ठ 85

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 7 Jun 2017


👉 आज का सद्चिंतन 7 Jun 2017


👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024

All World Gayatri Pariwar Official  Social Media Platform > 👉 शांतिकुंज हरिद्वार के प्रेरणादायक वीडियो देखने के लिए Youtube Channel `S...