कलरव करते नभ में पक्षी, जीवन गान सुनाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
हरी भरी है धरती प्यारी, मनमोहक उपवन उद्यान।
ताल तलैया सुन्दर झरने, नदियाँ बहती हैं अविराम।।
हरे भरे हैं खेत हमारे,गिरी कानन मन को भाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
बच्चों का झूला है बरगद,डाली उसकी मत काटो।
मधुर फलों से लदे वृक्ष जो, डाली उनकी मत छांटो।।
लगे हुए आंगन में तरु भी, पुरखों की कथा सुनाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
नदियों में अपशिष्ट बहाकर, क्या विकसित बन पाएंगे।
मछली जल की रानी है, केवल गीतों में गाएंगे।।
तरणताल के दृश्य मनोहर, चित्रों में ही दिख पाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
अल्हड मस्त हवाओं के, झोंकों से मस्ती आती है।
पशु पक्षी नर्तक बन जाते, जब घटा सुहानी छाती है।।
हवा शुद्ध करते हैं वनतरु, मानव की उम्र बढ़ाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
बासंती बयार बहनें दें, हरी भरी सुन्दर वसुधा हो।
मलयज की मंद समीर बहे, प्राणवायु संपन्न धरा हो।।
आभूषण हैं वृक्ष धरा के, धरती को यही सुहाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
प्रदुषण रोकें,वृक्ष लगाएं, वन उपवन ना कटने देंगे।
हम धरती माँ की छाती से, न वन का आँचल हटने देंगे।।
नैसर्गिक जीवन अपनाकर, स्वास्थ्य सुलभ हम पाते है।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं ।।
उमेश यादव
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
हरी भरी है धरती प्यारी, मनमोहक उपवन उद्यान।
ताल तलैया सुन्दर झरने, नदियाँ बहती हैं अविराम।।
हरे भरे हैं खेत हमारे,गिरी कानन मन को भाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
बच्चों का झूला है बरगद,डाली उसकी मत काटो।
मधुर फलों से लदे वृक्ष जो, डाली उनकी मत छांटो।।
लगे हुए आंगन में तरु भी, पुरखों की कथा सुनाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
नदियों में अपशिष्ट बहाकर, क्या विकसित बन पाएंगे।
मछली जल की रानी है, केवल गीतों में गाएंगे।।
तरणताल के दृश्य मनोहर, चित्रों में ही दिख पाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
अल्हड मस्त हवाओं के, झोंकों से मस्ती आती है।
पशु पक्षी नर्तक बन जाते, जब घटा सुहानी छाती है।।
हवा शुद्ध करते हैं वनतरु, मानव की उम्र बढ़ाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
बासंती बयार बहनें दें, हरी भरी सुन्दर वसुधा हो।
मलयज की मंद समीर बहे, प्राणवायु संपन्न धरा हो।।
आभूषण हैं वृक्ष धरा के, धरती को यही सुहाते हैं।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं।।
प्रदुषण रोकें,वृक्ष लगाएं, वन उपवन ना कटने देंगे।
हम धरती माँ की छाती से, न वन का आँचल हटने देंगे।।
नैसर्गिक जीवन अपनाकर, स्वास्थ्य सुलभ हम पाते है।
पर्यावरण बचाओ सब मिल, यह संकल्प जगाते हैं ।।
उमेश यादव