विचारों में हम उठते हैं और विचारों से ही गिरते हैं। उनसे ही खड़े होते हैं और उनसे ही चलते हैं। उनकी जबरदस्त शक्ति से सबका भाग्य बनता है। जो आदमी अपने विचार का स्वामी बनकर रहता है, जो आदमी इच्छाओं को अपने वश में रखता है और जो प्रेमपूर्ण सचाई के तथा साहस भरे विचार करता है वह अपने आदर्श को सत्य के प्रकाश में ढूंढ़ लेता है।
तुम्हारे जीवन के जो क्षण व्यतीत हो रहे हैं उनको सादे, मधुर, पवित्र, सुन्दर, श्रेष्ठ आशापूर्ण, उच्च तथा नम्र विचारों से भरो। वे विचार तुम्हारे जीवन क्षेत्र में अपने अनुरूप फल पैदा करेंगे फल। स्वरूप तुम्हारा दैनिक जीवन आन्तरिक शुभ विचारों का जीता जागता चित्र बन जायेगा। ऐसा जीवन ही ‘सफल मनुष्य जीवन’ होता है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1940 पृष्ठ 13
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