मंगलवार, 30 जनवरी 2024

👉 आत्मचिंतन के क्षण 30 Jan 2024

🔹 उन्नति के मार्ग किसी के लिए प्रतिबन्धित नहीं हैं। वे सबके लिए समान रूप से खुले हैं। परमात्मा के विधान में अन्याय अथवा पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है। जो व्यक्ति अपने अंदर जितने अधिक गुण, जितनी अधिक क्षमता और जितनी अधिक योग्यता विकसित कर लेगा, उसी अनुपात में उतनी ही अधिक विभूतियों का अधिकारी बन जायेगा।

🔸असंख्यों बार यह परीक्षण हो चुके हैं कि दुष्टता किसी के लिए भी लाभदायक सिद्ध नहीं हुई। जिसने भी उसे अपनाया वह घाटे में रहा और वातावरण दूषित बना। अब यह परीक्षण आगे भी चलते रहने से कोई लाभ नहीं। हम अपना जीवन इसी पिसे को पीसने में-परखे को परखने में न गँवायें तो ही ठीक है। अनीति को अपनाकर सुख की आकाँक्षा पूर्ण करना किसी के लिए भी संभव नहीं हो सकता तो हमारे लिए ही अनहोनी बात संभव कैसे होगी?

🔹 इस संसार में अच्छाइयों की कमी नहीं। श्रेष्ठ और सज्जन व्यक्ति भी सर्वत्र भरे पड़े हैं, फिर हर व्यक्ति में कुछ अच्छाई तो होती ही है। यदि छिद्रान्वेषण छोड़कर हम गुण अन्वेषण करने का अपना स्वभाव बना लें, तो घृणा और द्वेष के स्थान पर हमें प्रसन्नता प्राप्त करने लायक भी बहुत कुछ इस संसार में मिल जायेगा।

🔸जो अपना सर्वस्व पूर्ण रूप से परमात्मा को सौंपकर उसके उद्देश्य में नियोजित हो जाता है-पूरी तरह से उसका बन जाता है, परमात्मा उसके जीवन का सारा दायित्व खुशी-खुशी अपने ऊपर ले लेता है और कभी भी विश्वासघात नहीं करता।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य 

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