🔴 सफलता साहसिकता के आधार पर मिलती है। यह एक आध्यात्मिक गुण है। इसी आधार पर योगी को भी सफलता मिलती है, तांत्रिक को भी और महापुरुष को भी। हर एक को इसी साहसिकता के आधार पर सफलता मिलती है। वह डाकू क्यों न हो। आप योगी हैं तो अपनी हिम्मत के सहारे फायदा उठायेंगे। नेता हैं, महापुरुष हैं तो भी इसी आधार पर सफलता पायेंगे। यह एक दैवी गुण है। इसे आप अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं, यह आप पर निर्भर है। इनसान के भीतर जो विशेषता है, वह गुणों की विशेषता है।
🔵 देवता अगर किसी आदमी को देंगे तो गुणों की विशेषता देंगे, गुणों की सम्पदा देंगे। गायत्री माता, जिसकी आप उपासना करते हैं, अनुष्ठान करते हैं, अगर कभी कुछ देंगी तो गुणों की विशेषता देंगी। गुणों से क्या हो जाएगा? गुणों से ही होता है सब कुछ। भौतिक अथवा आध्यात्मिक जहाँ कहीं भी आदमी को उन्नति मिली है, केवल गुणों के आधार पर मिली है। श्रेष्ठ गुण न हों तो, न भौतिक उन्नति मिलने वाली है, न आध्यात्मिक उन्नति मिलने वाली है।
🔴 आदमी जितना समझदार है, नासमझ उससे भी ज्यादा है। यह भ्रान्ति न जाने क्यों आध्यात्मिक क्षेत्र में घुस पड़ी है कि देवता मनोकामना पूरी करते हैं, पैसा देते हैं, दौलत देते हैं, बेटा देते हैं, नौकरी देते हैं। इस एक भ्रान्ति ने इतना ज्यादा व्यापक नुकसान पहुँचाया है कि आध्यात्मिकता का जितना बड़ा लाभ, जितना बड़ा उपयोग था, सम्भावनाएँ थीं, उससे जो सुख होना सम्भव था, उस सारी की सारी सम्भावना को इसने तबाह कर दिया।
🔵 देवता आदमी को एक ही चीज देंगे और उनने एक ही चीज दी है, प्राचीनकाल के इतिहास में और भविष्य में भी। देवता अगर जिन्दा रहेंगे, भक्ति अगर जिन्दा रहेगी, उपासना-क्रम यदि जिन्दा रहेगा, तो एक ही चीज मिलेगी और वह है देवत्व के गुण। देवत्व के गुण अगर आएँ तब आप जितनी सफलताएँ चाहते हैं, उससे हजारों-लाखों गुनी सफलताएँ आपके पास आ जाएँगी।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔵 देवता अगर किसी आदमी को देंगे तो गुणों की विशेषता देंगे, गुणों की सम्पदा देंगे। गायत्री माता, जिसकी आप उपासना करते हैं, अनुष्ठान करते हैं, अगर कभी कुछ देंगी तो गुणों की विशेषता देंगी। गुणों से क्या हो जाएगा? गुणों से ही होता है सब कुछ। भौतिक अथवा आध्यात्मिक जहाँ कहीं भी आदमी को उन्नति मिली है, केवल गुणों के आधार पर मिली है। श्रेष्ठ गुण न हों तो, न भौतिक उन्नति मिलने वाली है, न आध्यात्मिक उन्नति मिलने वाली है।
🔴 आदमी जितना समझदार है, नासमझ उससे भी ज्यादा है। यह भ्रान्ति न जाने क्यों आध्यात्मिक क्षेत्र में घुस पड़ी है कि देवता मनोकामना पूरी करते हैं, पैसा देते हैं, दौलत देते हैं, बेटा देते हैं, नौकरी देते हैं। इस एक भ्रान्ति ने इतना ज्यादा व्यापक नुकसान पहुँचाया है कि आध्यात्मिकता का जितना बड़ा लाभ, जितना बड़ा उपयोग था, सम्भावनाएँ थीं, उससे जो सुख होना सम्भव था, उस सारी की सारी सम्भावना को इसने तबाह कर दिया।
🔵 देवता आदमी को एक ही चीज देंगे और उनने एक ही चीज दी है, प्राचीनकाल के इतिहास में और भविष्य में भी। देवता अगर जिन्दा रहेंगे, भक्ति अगर जिन्दा रहेगी, उपासना-क्रम यदि जिन्दा रहेगा, तो एक ही चीज मिलेगी और वह है देवत्व के गुण। देवत्व के गुण अगर आएँ तब आप जितनी सफलताएँ चाहते हैं, उससे हजारों-लाखों गुनी सफलताएँ आपके पास आ जाएँगी।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य