तैरना सीखने वाला डूब जाने के सिवाय और सब गलतियाँ कर सकता है। तब वह अचानक किसी दिन देखता है कि उसे तैरना आ गया। इसलिए गलतियाँ होती है तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह बिना गलतियाँ किये तैरना नहीं आता उसी तरह गलतियों के बिना जिन्दगी जीना भी नहीं सीखा जाता।
मनुष्य अपूर्ण है इसलिए उसके कार्यों में गलती हो सकती है। इसमें शर्म की कोई बात नहीं है शर्म की बात यह है कि गलती को सही साबित करने और उस पर अड़े रहने की कोशिश की जाय। गलती को ढूँढ़ना मानना और सुधारना किसी मनुष्य के बड़प्पन का कारण हो सकता है। जो सीखने और सुधारने में लगा हुआ है वही एक दिन उस स्थिति को पहुँचेगा जिसमें त्रुटियों और बुराइयों से छुटकारा मिलता है।
📖 अखण्ड ज्योति जून 1961
मनुष्य अपूर्ण है इसलिए उसके कार्यों में गलती हो सकती है। इसमें शर्म की कोई बात नहीं है शर्म की बात यह है कि गलती को सही साबित करने और उस पर अड़े रहने की कोशिश की जाय। गलती को ढूँढ़ना मानना और सुधारना किसी मनुष्य के बड़प्पन का कारण हो सकता है। जो सीखने और सुधारने में लगा हुआ है वही एक दिन उस स्थिति को पहुँचेगा जिसमें त्रुटियों और बुराइयों से छुटकारा मिलता है।
📖 अखण्ड ज्योति जून 1961