🔹आशा आध्यात्मिक जीवन का शुभ आरम्भ है। आशावादी व्यक्ति सर्वत्र परमात्मा की सत्ता विराजमान देखता है। उसे सर्वत्र मंगलमय परमात्मा की मंगलदायककृपा बरसती दिखाई देती है। सच्ची शान्ति, सुख और सन्तोष मनुष्य की निराशावादी प्रवृत्ति के करण नहीं, अपने ऊपर अपनी शक्ति पर विश्वास करने से होता है।
🔸 गृहस्थाश्रम की सफलता तीन बातों पर निर्भर करती है। पहला गृहस्थ- जीवन के पूर्व की तैयारी, दूसरे पति- पत्नी के दाम्पत्य जीवन में आने का ध्येय, तीसरा गृहस्थ जीवन में एक दूसरे का व्यवहार और उनका कर्तव्य पालन।
🔹 तेजस्विता तपश्चर्या की उपलब्धि है, जो निजी जीवन में संयम, साधना और सामाजिक जीवन में परमार्थ परायणता के फलस्वरूप उद्भूत होती है। संयम- अर्थात् अनुशासन का, नीति मर्यादाओं का कठोरतापूर्वक परिपालन।
🔸 आहार न केवल स्थूल दृष्टि से पौष्टिक, स्वल्प और सात्विक होना चाहिए, वरन् उसके पीछे यायानुकूल उपार्जन और सद्भावनाओं का समावेश भी होना चाहिए ।। तभी वह अन्य मनुष्य के तीनों आवरणों को पोषित कर सकेगा और स्थूल, सूक्ष्म तथा कारण शरीर को विकसित कर सकेगा। तभी वह शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से सर्वांगीण विकास कर सकेगा।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य