शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

👉 मैं क्या हूँ ? What Am I ? (भाग 13)

🌞 पहला अध्याय

🔴 काम, क्रोध, लोभ, मोहादि विकार और इन्द्रिय वासनाएँ मनुष्य के आनन्द में बाधक बनकर उसे दुःखजाल में डाले हुए हैं। पाप और बन्धन की यह मूल हैं। पतन इन्हीं के द्वारा होता है और क्रमशः नीच श्रेणी में इनके द्वारा जीव घसीटा जाता रहता है। विभिन्न अध्यात्म पन्थों की विराट साधनाएँ इन्हीं दुष्ट शत्रुओं को पराजित करने के चक्रव्यूह हैं। अर्जुन रूपी मन को इसी महाभारत में प्रवृत्त करने का भगवान का उपदेश है।

🔴 इस पुस्तक के अगले अध्यायों में आत्म दर्शन के लिए जिन सरल साधनों को बताया गया है, उनकी साधना करने से हम उस स्थान तक ऊँचे उठ सकते हैं, जहाँ सांसारिक प्रवृत्तियों की पहुँच नहीं हो सकती। जब बुराई न रहेगी, तो जो शेष रह जाय, वह भलाई होगी। इस प्रकार आत्मदर्शन का स्वाभाविक फल दैवी सम्पत्ति को प्राप्त करना है। आत्म-स्वरूप का, अहंभाव का आत्यन्तिक विस्तार होते-होते रबड़ के थैले के समान बन्धन टूट जाते हैं और आत्मा-परमात्मा में जा मिलता है।

🔵 इस भावार्थ को जानकर कई व्यक्ति निराश होंगे और कहेंगे-यह तो संन्यासियों का मार्ग है। जो ईश्वर में लीन होना चाहते हैं या परमार्थ साधना करना चाहते हैं, उनके लिए यह साधन उपयोगी हो सकता है। इसका लाभ केवल पारलौकिक है, किन्तु हमारे जीवन का सारा कार्यक्रम इहलौकिक है। हमारा जो दैनिक कार्यक्रम व्यवसाय, नौकरी, ज्ञान-सम्पादन, द्रव्य-उपार्जन, मनोरंजन आदि का है, उसमें से थोड़ा समय पारलौकिक कार्यों के लिए निकाल सकते हैं, परन्तु अधिकांश जीवनचर्या हमारी सांसारिक कार्यों में निहित है। इसलिए अपने अधिकांश जीवन के कार्यक्रम में हम इसका क्या लाभ उठा सकेंगे?

🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 हमारी युग निर्माण योजना (भाग 1)

सन 1958 में परम पूज्य गुरुदेव द्वारा लिखित पुस्तक!!
 
🌹 निवेदन!

🔵 आत्म-निर्माण परिवार निर्माण और समाज निर्माण का उद्देश्य लेकर युग-निर्माण योजना नामक एक आध्यात्मिक प्रक्रिया ‘अखण्ड-ज्योति’ के सदस्यों द्वारा जून सन् 63 से आरम्भ की गई है। स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज की अभिनव रचना का लक्ष्य पूरा करने के लिये विगत एक वर्ष से यह आन्दोलन सफलतापूर्वक चल रहा है।

🔴 आन्दोलन के आरम्भ में जन साधारण को उसका स्वरूप समझाने के लिये जो लेख लिखे गये थे उनका संग्रह इस पुस्तक में है। इसलिये पाठकों को ऐसा प्रतीत होगा मानो यह कोई विचाराधीन योजना या किसी भावी कार्यक्रम की कल्पना है। पर वस्तु-स्थिति ऐसी नहीं। गत एक वर्ष से यह पुस्तक छपने तक इस शतसूत्री योजना के यह सभी कार्यक्रम तीन हजार शाखाओं से संगठित परिवार के तीस हजार सदस्यों द्वारा बड़े उत्साहपूर्वक कार्यान्वित किये जा रहे हैं।

🔵 प्रगति जिस आशाजनक और उत्साह पूर्ण कार्यक्रम से हो रही है, उसे देखते हुए प्रतीत होता है कि किसी समय का यह स्वप्न अगले कुछ ही समय में एक विशाल वृक्ष का रूप धारण करने जा रहा है और युग-निर्माण की बात जो अत्युक्ति जैसी लगती थी अगले दिनों एक सुनिश्चित तथ्य के रूप में मूर्तिमान होने वाली है।

🔴 नव-निर्माण का यह अभिनव आन्दोलन समय की एक अत्यन्त आवश्यक एवं महत्वपूर्ण पुकार है। प्रत्येक विचारशील व्यक्ति के लिये यह योजना अपनाये जाने योग्य है। आशा यही है कि पाठक इस शतसूत्री योजना को न्यूनाधिक रूप में अपनाने का प्रयत्न करेंगे। विज्ञजनों से इन संदर्भ में आवश्यक परामर्श सहयोग, मार्ग-दर्शन एवं आशीर्वाद देने की प्रार्थना है, ताकि आन्दोलन को और भी अधिक सुचारु रूप से चलाया जा सके।

🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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