गुरुवार, 25 जुलाई 2024

👉 इन 5 कामों में देर करना अच्छी बात है

कबीरदास का एक बहुत ही प्रसिद्ध दोहा है-

काल करे सो आज कर, आज करै सो अब।

यानी जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए और जो काम आज करना है, उसे अभी कर लेना चाहिए। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि किसी भी काम को करने में देर नहीं करना चाहिए। ये बात सभी कामों के लिए सही नहीं है। स्त्री और पुरुष, दोनों के लिए कुछ काम ऐसे भी हैं, जिनमें देर करना अच्छी बात है।

महाभारत के एक श्लोक में बताया है कि हमें किन कामों को टालने की कोशिश करनी चाहिए…

रागे दर्पे च माने च द्रोहे पापे च कर्मणि।
अप्रिये चैव कर्तव्ये चिरकारी प्रशस्यते।।

ये श्लोक महाभारत के शांति पर्व में दिया गया है। इसमें 5 काम ऐसे बताए गए हैं, जिनमें देर करने पर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं।

1 पहला काम है राग
इन पांच कामों में पहला काम है राग यानी अत्यधिक मोह, अत्यधिक जोश, अत्यधिक वासना। राग एक बुराई है। इससे बचना चाहिए। जब भी मन में राग भाव जागे तो कुछ समय के लिए शांत हो जाना चाहिए। अधिक जोश में किया गया काम बिगड़ भी सकता है। वासना को काबू न किया जाए तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। किसी के प्रति मोह बढ़ाने में भी कुछ समय रुक जाना चाहिए। राग भाव जागने पर कुछ देर रुकेंगे तो ये विचार शांत हो सकते हैं और हम बुराई से बच जाएंगे।

2 दूसरा काम है घमंड
दर्प यानी घमंड ऐसी बुराई है जो व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। घमंड के कारण ही रावण और दुर्योधन का अंत हुआ था। घमंड का भाव मन में आते ही एकदम प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। कुछ देर रुक जाएं। ऐसा करने पर हो सकता है कि आपके मन से घमंड का भाव ही खत्म हो जाए और आप इस बुराई से बच जाएं।

3 तीसरा काम है लड़ाई करना
यदि कोई ताकतवर इंसान किसी कमजोर से भी लड़ाई करेगा तो कुछ नुकसान तो ताकतवर को भी होता है। लड़ाई करने से पहले थोड़ी देर रुक जाना चाहिए। ऐसा करने पर भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से हम बच सकते हैं। आपसी रिश्तों में वाद-विवाद होते रहते हैं, लेकिन झगड़े की स्थिति आ जाए तो कुछ देर शांत हो जाना चाहिए। झगड़ा भी शांत हो जाएगा।

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4 चौथा काम है पाप करना
यदि मन में कोई गलत काम यानी पाप करने के लिए विचार बन रहे हैं तो ये परेशानी की बात है। गलत काम जैसे चोरी करना, स्त्रियों का अपमान करना, धर्म के विरुद्ध काम करना आदि। ये काम करने से पहले थोड़ी देर रुक जाएंगे तो मन से गलत काम करने के विचार खत्म हो सकते हैं। पाप कर्म से व्यक्ति का सुख और पुण्य नष्ट हो जाता है।

5 पांचवां काम है दूसरों को नुकसान पहुंचाना
यदि हम किसी का नुकसान करने की योजना बना रहे हैं तो इस योजना पर काम करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए। इस काम में जितनी देर करेंगे, उतना अच्छा रहेगा। किसी को नुकसान पहुंचाना अधर्म है और इससे बचना चाहिए। पुरानी कहावत है जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, एक दिन वे ही उस गड्ढे में गिरते हैं। इसीलिए दूसरों का अहित करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए।

👉 आशावादी आस्तिक

आशावाद आस्तिकता है। सिर्फ नास्तिक ही निराशावादी हो सकता है। आशावादी ईश्वर का डर मानता है, विनयपूर्वक अपना अन्तर नाद सुनता है, उसके अनुसार बरतता है और मानता है कि ‘ईश्वर जो करता है वह अच्छे के लिये ही करता है।’

निराशावादी कहता है ‘मैं करता हूँ।’ अगर सफलता न मिले तो अपने को बचाकर दूसरे लोगों के मत्थे दोष मढ़ता है, भ्रमवश कहता है कि “किसे पता ईश्वर है या नहीं’, और खुद अपने को भला तथा दुनिया को बुरा मानकर कहता है कि ‘मेरी किसी ने कद्र नहीं की’ ऐसा व्यक्ति एक प्रकार का आत्मघात कर लेता है और मुर्दे की तरह जीवन बिताता है।

आशावादी प्रेम में मगन रहता है, किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता। भयानक जानवरों तथा ऐसे जानवरों जैसे मनुष्यों से भी वह नहीं डरता, क्योंकि उसकी आत्मा को न तो साँप काट सकता है और न पापी का खंजर ही छेद सकता है, शरीर की वह चिन्ता नहीं करता क्योंकि वह तो काया को काँच की बोतल समझता है। वह जानता है कि एक न एक दिन तो यह फूटने वाली है, इसलिए वह है, इसलिए वह उसकी रक्षा के निमित्त संसार को पीड़ित नहीं करता। वह न किसी को परेशान करता है न किसी की जान पर हाथ उठाता है, वह तो अपने हृदय में वीणा का मधुर गान निरंतर सुनता है और आनन्द सागर में डूबा रहता है।

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निराशावादी स्वयं राग-द्वेष से भरपूर होता है, इसलिए वह हर एक को अपना दुश्मन मानता है और हर एक से डरता है, वह मधु-मक्खियों की तरह इधर उधर भिनभिनाता हुआ बाहरी भोगों को भोग कर रोज थकता है और रोज नया भोग खोजता है। इस तरह वह अशान्त, शुष्क और प्रेमहित होकर इस दुनिया से कूच कर देता है।

📖 अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1943 पृष्ठ 4

http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1943/October/v1.4

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024

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