🔷 आस्तिकता का अर्थ है विश्वास। अविश्वासी ही मस्तिष्क कहा जा सकता है। संसार चक्र को नियमबद्ध नियंत्रण में रखकर चलाने वाली परम सत्ता पर विश्वास करना आस्तिकता का चिह्न है। कर्म फल सुनिश्चित है, जो किया है वह भोगना पड़ेगा यह मानना आस्तिकता का ही स्वरूप है। सब प्राणियों का अंततः कल्याण ही होगा, सब एक दिन विकास की मंजिल पूरी करते हुए परम मंगल को प्राप्त करेंगे यह मान्यता भी आस्तिकता के अनुरूप हैं।
🔶 यह विश्व परमात्मा से ही ओत-प्रोत है। यह उसी का एक प्रत्यक्ष रूप है। जो कुछ हमें दिखाई पड़ता है वह उसी प्रभु के एक अंश का दर्शन है। उसकी न तो उपेक्षा की जानी चाहिए और न घृणा। यह घृणा या उपेक्षा वस्तुतः परमात्मा के एक अंश के प्रति व्यक्त की हुई मानी जाएगी।
🔶 यह विश्व परमात्मा से ही ओत-प्रोत है। यह उसी का एक प्रत्यक्ष रूप है। जो कुछ हमें दिखाई पड़ता है वह उसी प्रभु के एक अंश का दर्शन है। उसकी न तो उपेक्षा की जानी चाहिए और न घृणा। यह घृणा या उपेक्षा वस्तुतः परमात्मा के एक अंश के प्रति व्यक्त की हुई मानी जाएगी।