🔶 आकाश में ग्रह और नक्षत्र तूफानी चाल से अपनपी राह चलते हैं। एक सेकेण्ड में हजारों मील की यात्रा पार करते हैं पर चलते अपने नियत मार्ग पर ही हैं। यदि कोई तारा जरा सा भी भटक जाय तो वह दूसरे तारों से टकराकर सृष्टि में भारी उथल पुथल पैदा कर सकता है। हर एक तारा अपने निर्धारित मार्ग पर पूर्ण नियम बद्ध होकर चलता है तभी यह दुनियाँ अपनी जगह पर ठहरी हुई है। यदि मर्यादाओं का पालन छोड़ दिया जाय तो समाज की सारी शृंखला बिखर जाएगी और साथ ही मनुष्य जाति सुख शान्ति से भी वंचित हो जाएगी।
🔷 यदि मनुष्य अपनी बुद्धि की थोड़ी अधिक खींच तान करे तो वह बुरी और गलत से गलत बातों को उचित ठहराने के लिए तर्क और प्रमाण ढूँढ़ सकता है। विश्वासों और भावनाओं को पुष्टि करना बुद्धि का काम है। मस्तिष्क को हृदय का वकील कहा जा सकता है। भीतर से जो आकांक्षा और अभिरुचि उठती है उसी को पुष्ट करने और मार्ग ढूँढ़ने में मस्तिष्क लगे जाता है। चोर के लिए वह चोरी की कला में प्रवीणता प्राप्त करने और उसके लिए अवसर ढूँढ़ देने का काम करता है और साधु के लिए पुण्य परमार्थ के अवसर तथा साधन जुटाने में सफल प्रयत्न करता है।
🔶 इसलिए बुद्धि के चमत्कार से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है और न बुद्धि को बहुत मान देने की आवश्यकता है। वह तो एक वेश्या के समान है जो प्रलोभन की ओर फिसलती रहती है। प्रभावित होने योग्य तो केवल एक ही वस्तु हैं, उदारता मिश्रित सचाई। भले ही कोई मूर्ख गिना जाय पर जिसमें उदारता और सच्चाई है वह हजार बुद्धिमानों से अच्छा है।
📖 अखण्ड ज्योति से
🔷 यदि मनुष्य अपनी बुद्धि की थोड़ी अधिक खींच तान करे तो वह बुरी और गलत से गलत बातों को उचित ठहराने के लिए तर्क और प्रमाण ढूँढ़ सकता है। विश्वासों और भावनाओं को पुष्टि करना बुद्धि का काम है। मस्तिष्क को हृदय का वकील कहा जा सकता है। भीतर से जो आकांक्षा और अभिरुचि उठती है उसी को पुष्ट करने और मार्ग ढूँढ़ने में मस्तिष्क लगे जाता है। चोर के लिए वह चोरी की कला में प्रवीणता प्राप्त करने और उसके लिए अवसर ढूँढ़ देने का काम करता है और साधु के लिए पुण्य परमार्थ के अवसर तथा साधन जुटाने में सफल प्रयत्न करता है।
🔶 इसलिए बुद्धि के चमत्कार से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है और न बुद्धि को बहुत मान देने की आवश्यकता है। वह तो एक वेश्या के समान है जो प्रलोभन की ओर फिसलती रहती है। प्रभावित होने योग्य तो केवल एक ही वस्तु हैं, उदारता मिश्रित सचाई। भले ही कोई मूर्ख गिना जाय पर जिसमें उदारता और सच्चाई है वह हजार बुद्धिमानों से अच्छा है।
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