मात्र कुढ़ते रहने से, चिन्ता की चादर ओढ़कर निष्क्रिय हो जाने से और मन ही मन कुड़ बुड़ाते रहने से किसी को रत्ती भर लाभ न तो कभी हुआ है न कभी आगे होने वाला है।
इसलिए ऐ परमेश्वर के प्यारे पुत्रों! जिन्दा ही मर जाने की बजाय तुम मरकर भी जीवित बने रहने की विद्या का अभ्यास करो। निष्क्रियता की घुटन का घेरा तोड़कर उत्फुल्ल क्रियाशीलता की खुली हवा में साँस लेना सीखो।
रेशम का कीड़ा अपना कोया खुद बुनता है और फिर उसी में घुटकर मर जाता है। घुटन की छटपटाहट से उबरने के लिए वह भी शायद हमारी ही तरह कभी विधाता, कभी व्यवस्था और कभी पड़ौसी को कोसता होगा। हमारे मन रूपी कीड़े को भी अपने ही बनाये कोयों की कैद में बंधना-घुटन पड़ता है।
‘कोयाबन्दी’ की निष्क्रियता के अँधेरे बंद तहखानों से निकलकर ऊपर आओ, ‘मानसिक कालकोठरी’ के वातायनों को सूर्य की ऊष्मा और स्वच्छ सुरभित पवन का स्वागत करने दो। तुम्हारे कुस्वास्थ्य का यही एक मात्र निदान है।
जाओ और यही संदेश अपने संपर्क में आने वाले जन-जन तक पहुंचाओ ताकि जहाँ-जहाँ भी किसी प्रकार की बुराई हो उसे दूर करने में अपनी-अपनी सीमा और शक्ति भर वे सक्रिय सहयोग दे सकें। उनकी समस्त सामर्थ्य केवल हवा के साथ लड़ने में ही व्यर्थ न चली जाये।
सेन्ट पाल
इसलिए ऐ परमेश्वर के प्यारे पुत्रों! जिन्दा ही मर जाने की बजाय तुम मरकर भी जीवित बने रहने की विद्या का अभ्यास करो। निष्क्रियता की घुटन का घेरा तोड़कर उत्फुल्ल क्रियाशीलता की खुली हवा में साँस लेना सीखो।
रेशम का कीड़ा अपना कोया खुद बुनता है और फिर उसी में घुटकर मर जाता है। घुटन की छटपटाहट से उबरने के लिए वह भी शायद हमारी ही तरह कभी विधाता, कभी व्यवस्था और कभी पड़ौसी को कोसता होगा। हमारे मन रूपी कीड़े को भी अपने ही बनाये कोयों की कैद में बंधना-घुटन पड़ता है।
‘कोयाबन्दी’ की निष्क्रियता के अँधेरे बंद तहखानों से निकलकर ऊपर आओ, ‘मानसिक कालकोठरी’ के वातायनों को सूर्य की ऊष्मा और स्वच्छ सुरभित पवन का स्वागत करने दो। तुम्हारे कुस्वास्थ्य का यही एक मात्र निदान है।
जाओ और यही संदेश अपने संपर्क में आने वाले जन-जन तक पहुंचाओ ताकि जहाँ-जहाँ भी किसी प्रकार की बुराई हो उसे दूर करने में अपनी-अपनी सीमा और शक्ति भर वे सक्रिय सहयोग दे सकें। उनकी समस्त सामर्थ्य केवल हवा के साथ लड़ने में ही व्यर्थ न चली जाये।
सेन्ट पाल