🔶 साथियों! हमारे मौन धारण करने का एक और कारण है। आप यह मत सोचिये कि मैं अपना प्याऊ बन्द करने जा रहा हूँ। हमें बच्चों को खिलाने का शौक है। हमें बच्चों को प्यार करना, उन्हें गुब्बारा देना बहुत प्यारा लगता है। स्वयं घोड़ा बन जाना तथा बच्चों को पीठ पर बैठा लेना तथा घुमाना बहुत प्यारा लगता है।
🔷 हम जो भी सहायता आपकी कर सकते हैं, वह अवश्य करेंगे, परन्तु आपको भी स्वयं में संवेदना पैदा करनी होगी। हमने कहा है कि आप उपासना करिये, जप करिये ताकि आपको उस समय परा एवं पश्यन्ति वाणी से दिशा दे सकूँ, अन्यथा मैं अपने मौन की शक्ति प्रेषित करूँगा और आपको नुकसान होगा।
🔶 मेरे गुरु के व्याख्यान देने का कार्य बन्द हो गया तो क्या उनकी शक्ति कम हो गई? हम नहीं बोल रहे हैं, हमारा गुरु बोल रहा है। आप भी उनकी शक्ति से बोलेंगे। प्रज्ञापुराण जब आप पढ़ेंगे और लोगों को सुनाएँगे तब वह आपकी वाणी में नहीं, बल्कि मेरे गुरु की वाणी में होगा, जिसमें अधिक ताकत होगी। आपकी वाणी में कोई ताकत नहीं होगी, आप ऐसे ही बकवास करते रहेंगे। हम मौन हो जाएँगे तो हमारी शक्ति बढ़ जाएगी। हमारी परा एवं पश्यन्ति वाणी की ताकत बढ़ जाएगी। आप मेरी उस वाणी को सुनेंगे तो आपके आँखों में पानी आएगा, भाव-संवेदना जगेगी। इससे हम आपकी सहायता ज्यादा कर सकेंगे।
🔷 आप क्या सोचते हैं कि आप लोगों के ऊपर हमारा कोई असर नहीं पड़ता है। यह हमारा मौन ब्राह्मणत्व है। यह तपस्वी की वाणी है। हमने सेवा करने में सन्त की प्रवृत्ति को जिन्दा रखा है कि हम समाज की सेवा करेंगे। आज व्यक्ति की सेवा ज्यादा है, समाज की सेवा गौण हो गयी है।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य (अमृतवाणी)
🔷 हम जो भी सहायता आपकी कर सकते हैं, वह अवश्य करेंगे, परन्तु आपको भी स्वयं में संवेदना पैदा करनी होगी। हमने कहा है कि आप उपासना करिये, जप करिये ताकि आपको उस समय परा एवं पश्यन्ति वाणी से दिशा दे सकूँ, अन्यथा मैं अपने मौन की शक्ति प्रेषित करूँगा और आपको नुकसान होगा।
🔶 मेरे गुरु के व्याख्यान देने का कार्य बन्द हो गया तो क्या उनकी शक्ति कम हो गई? हम नहीं बोल रहे हैं, हमारा गुरु बोल रहा है। आप भी उनकी शक्ति से बोलेंगे। प्रज्ञापुराण जब आप पढ़ेंगे और लोगों को सुनाएँगे तब वह आपकी वाणी में नहीं, बल्कि मेरे गुरु की वाणी में होगा, जिसमें अधिक ताकत होगी। आपकी वाणी में कोई ताकत नहीं होगी, आप ऐसे ही बकवास करते रहेंगे। हम मौन हो जाएँगे तो हमारी शक्ति बढ़ जाएगी। हमारी परा एवं पश्यन्ति वाणी की ताकत बढ़ जाएगी। आप मेरी उस वाणी को सुनेंगे तो आपके आँखों में पानी आएगा, भाव-संवेदना जगेगी। इससे हम आपकी सहायता ज्यादा कर सकेंगे।
🔷 आप क्या सोचते हैं कि आप लोगों के ऊपर हमारा कोई असर नहीं पड़ता है। यह हमारा मौन ब्राह्मणत्व है। यह तपस्वी की वाणी है। हमने सेवा करने में सन्त की प्रवृत्ति को जिन्दा रखा है कि हम समाज की सेवा करेंगे। आज व्यक्ति की सेवा ज्यादा है, समाज की सेवा गौण हो गयी है।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य (अमृतवाणी)