बुधवार, 31 मई 2017

👉 आज का सद्चिंतन 31 May 2017


नववर्ष का नया संकल्प


 👉नववर्ष का नया संकल्प


    🔵नववर्ष की पहली सुबह का सूर्य हिमालय के हिमशिखरों पर उदित हुआ। श्वेताभ शिखरों की शुभ्रता स्वर्णिम हो उठी। ध्यान में रत साधक के अंतर्जगत् में भी सविता देव उदित हुए। समूचा अंतःकरण उनके दिव्य आलोक से भर उठा। प्रेरक पुंज के प्रेरणास्वर गूँजने लगे-‘‘आलस्य और शिथिलता में पिछले काफी वर्ष बीत चुके। पिछला साल भी कुछ यूँ ही गुजरा। अब नए संकल्प की आवश्यकता है। अब तक तुम अपने चिंतन को पूर्णतः आचरण में नहीं ला सके। इसके लिए निराश होने की बजाय मन में वज्रसंकल्प करो। नया वर्ष तुम्हारे जीवन की नई राहें खोल रहा है, उन पर वीरतापूर्वक आगे बढ़ो। जिसने अपने जीवनलक्ष्य की प्राप्ति का दृढ़ संकल्प कर लिया है, उसके मार्ग में कौन बाधा डाल सकता है।’’

    🔴‘‘जब तुम संकल्पवान् होओगे, तब महाकाल स्वयं तुम्हारा सहचर होगा। परमसत्ता मित्र होगी, सर्वस्व होगी। ईश्वर के सान्निध्य का और अधिक बोध हो सके, इसके लिए अन्य सभी प्रकार की दुर्बलताओं का त्याग कर देना ही अच्छा है। जब तुम अपनी निम्न प्रवृत्तियों का त्याग कर दोगे, तब प्रकृति स्वयं अपने सौंदर्य को तुम्हारे सामने प्रकट कर देगी। ऐसे में तुम्हारे लिए सभी कुछ आध्यात्मिक हो जाएगा। फिर घास का एक तिनका भी तुमसे आत्मा की ही बात कहेगा।’’

    🔵‘‘दूसरों के मतों की चिंता क्यों करते हो? इस मनोवृत्ति से क्या लाभ? जब तुम दूसरों के मत की अपेक्षा करते हो, तब जान लो कि तुम्हारे अंदर संकल्प का अभाव है। सुदृढ़ संकल्प के स्वामी बनो। फिर दूसरे लोग कुछ भी कहें, तुम उनकी चिंता नहीं करोगे। दूसरों पर निर्भर मत रहो, अपने संकल्प की पूर्ति करो। जीवनलक्ष्य प्राप्ति का यह नया संकल्प ही तुम्हें राह दिखा सकता है। अपने समय को व्यर्थ की चर्चा में नष्ट न करो। इससे तुम्हें कुछ भी लाभ न होगा। मार्गदर्शन के लिए ध्यान की गहराई में उतरो, स्वयं अपनी ही आत्मा में निमग्न हो, यही सच्चा मार्ग है- भटकन से कोई लाभ नहीं।’’

    🔴‘‘जीवनलक्ष्य को पाकर रहोगे। नववर्ष का यह नया संकल्प तुम्हें दृढ़ता प्रदान करेगा। तुम्हें लक्ष्य पर पहुँचा देगा। तुम्हारी संकल्पनिष्ठा तुम्हें दृढ़प्रतिज्ञा करेगी तथा तुम्हें सभी प्रकार की बाधाओं पर विजय प्रदान करेगी।’’ सवितादेव से उभरती प्रेरणा की इस अनुगूँज में नववर्ष का नया संकल्प आकार लेने लगा- जीवनलक्ष्य प्राप्ति का संकल्प- उसके लिए अपने सर्वस्व की आहुति का संकल्प- गुरुसत्ता के प्रति समग्र समर्पण का संकल्प।

🌹 डॉ प्रणव पंड्या
🌹जीवन पथ के प्रदीप पृष्ठ 81

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