निराशा एक प्रकार की कायरता है। बुज़दिल आदमी ही हिम्मत हारते हैं। जिसमें वीरता और शूरता का, पुरुषार्थ और पराक्रम का एक कण भी शेष होगा वह यह ही अनुभव करेगा कि मनुष्य महान है, उसकी शक्तियाँ महान है, वह दृढ़ निश्चय और सतत परिश्रम के द्वारा असंभव को संभव बना सकता है। यह जरूरी नहीं कि पहला प्रयत्न ही सफल होना चाहिए। असफलताओं का कल के लिए आशान्वित रहते हैं वस्तुतः वे ही शूरवीर हैं। वीरता शरीर में नहीं मन में निवास करती हैं।
जो मरते दम तक आशा को नहीं छोड़ते और जीवन संग्राम को खेल समझते हुए हँसते, खेलते, लड़ते रहते हैं उन्हीं वीर पुरुषार्थों महामानवों के गले में अन्ततः विजय वैजयन्ती पहनाई जाती है। बार−बार अग्नि परीक्षा में से गुजरने के बाद ही सोना कुन्दन कहलाता है। कठिनाइयों और असफलताओं से हताश न होना वीरता का यह एक ही चिन्ह है। जिन्होंने अपने को इस कसौटी पर खरा सिद्ध किया है उन्हीं की जीवन साधना सफल हुई है और उन्हीं के नाम इतिहास के पृष्ठों पर अमर रहें हैं।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जून 1962