सोमवार, 31 जुलाई 2017
👉मैं कौन हूँ?
🔴 ‘‘मैं कौन हूँ?’’ जो स्वयं से इस सवाल को नहीं पूछता है, ज्ञान के द्वार उसके लिए बंद ही रह जाते हैं। उस द्वार को खोलने की चाबी यही है कि स्वयं से पूछो, ‘‘मैं कौन हूँ?’’ और जो तीव्रता से, समग्रता से अपने से यह सवाल पूछता है, वह स्वयं ही उत्तर पा जाता है।
🔵 महान् दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन् बूढ़े हो चले थे। उनकी देह जो कभी अति सुंदर और स्वस्थ थी, अब जर्जर और ढीली हो गई थी। जीवन संध्या के लक्षण प्रकट होने लगे थे। ऐसे बुढ़ापे की सुबह की घटना है। वह स्नानगृह में थे। स्नान के बाद वह जैसे ही अपने शरीर को पोंछने लगे, तभी अचानक उन्होंने गहरी नजर से देखा कि वह देह तो कब की जा चुकी है, जिसे अपनी माने बैठे थे। शरीर तो बिलकुल ही बदल गया है। वह काया अब कहाँ है? जिसे उन्होंने प्रेम किया था, जिस पर उन्होंने गौरव किया था, उसकी जगह यह खंडहर ही तो बाकी बचा रह गया है।
🔴 इस सोच के साथ उनके दार्शनिक मन में एक अत्यंत अभिनव बोध भी अंकुरित होने लगा, ‘शरीर तो वह नहीं है, लेकिन वह तो वही हैं। वह तो बिलकुल भी नहीं बदले हैं। अपने सारे कर्तृत्वों, उपलब्धियों के ढेर के बीच वह अपनी गहराई में जस-के-तस हैं।’ तब उन्होंने स्वयं से ही पूछा, ‘आह! तब फिर मैं कौन हूँ?’ अपनी गहराइयों में उन्हें उत्तर भी मिला और तत्त्ववेत्ता के रूप में वह संपूर्ण हुए।
🔵 यही सवाल प्रत्येक को अपने से पूछना होता है। यही असली सवाल है। जो इसे नहीं पूछते, वे एक प्रकार से व्यर्थ जीवन जीते हैं। जो पूछते ही नहीं, वे भला उत्तर भी कैसे पा सकेंगे? इसलिए स्वयं से अभी और तत्काल यह सवाल पूछो कि ‘‘मैं कौन हूँ?’’ अपने अंतरतम की गहराइयों में इस प्रश्न को गूँजने दो, ‘‘मैं कौन हूँ?’’ जब प्राणों की पूरी शक्ति से कोई पूछता है, तो उसे अवश्य ही उत्तर उपलब्ध होता है और वह उत्तर जीवन की सारी दिशा और अर्थ को परिवर्तित कर देता है।
🌹 डॉ प्रणव पंड्या
🌹 जीवन पथ के प्रदीप पृष्ठ 89
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
👉 प्रेरणादायक प्रसंग 30 Sep 2024
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform > 👉 शांतिकुंज हरिद्वार के प्रेरणादायक वीडियो देखने के लिए Youtube Channel `S...