सोमवार, 2 जुलाई 2018

👉 प्रेरणादायक प्रसंग 2 July 2018


👉 आज का सद्चिंतन 2 July 2018

👉 "आलस्य में न पड़े

🔶 उत्साह, चुस्त स्वभाव और समय की पाबंदी यह तीन गुण बुद्धि बढ़ाने के लिए अद्वितीय कहे गये हैं। इनके द्वारा इस प्रकार के अवसर अनायास ही होते रहते हैं, जिनके कारण ज्ञानभंडार में अपने आप वृद्धि होती है। एक विद्वान् का कथन है -“कोई व्यक्ति छलांग मारकर महापुरुष नहीं बना जाता, बल्कि उसके और साथी जब आलस में पड़े रहते हैं, तब वह रात में भी उन्नति के लिये प्रयत्न करता है।

🔷 आलसी घोड़े की अपेक्षा उत्साही गधा ज्यादा काम कर लेता है । एक दार्शनिक का कथन है - “यदि हम अपनी आयु नहीं बढ़ा सकते तो जीवन की उन्हीं घड़ियों का सदुपयोग करके बहुत दिन जीने से अधिक काम कर सकते हैं ।"

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 "Do not succumb to laziness

🔶 Enthusiasm, disciplined nature and time-keeping are three qualities which are considered to be indispensable in improving intellect or brainpower. These qualities automatically create such favourable conditions which will help to boost person’s knowledge without much effort. Someone learned has aptly said, “No one becomes a great person overnight. They became great by making active concerted efforts day and night while their friends were wasting their time doing nothing.

🔷 A donkey which is eager to work would accomplish more than a (mighty but) lazy horse.” One philosopher has said, “We may not be able to lengthen our life but if we make proper use of each and every moment of life, we can accomplish far more than what is only possible by living a longer life.”

🔶 Buddhi badhane ki Vaigyanik Vidhi (The Scientific Approach to Enhance Wit and Wisdom) page 27"

Pt. Shriram Sharma Acharya

👉 अपनी शक्तियों को विकसित कीजिए

🔶 परमेश्वर ने सबको समान शक्तियाँ प्रदान की हैं, ऐसा नहीं कि किसी में अधिक, किसी में न्यून हो या किसी के साथ खास रियायत की गई हो। परमेश्वर के यहाँ अन्याय नहीं है। समस्त अद्भुत शक्तियाँ तुम्हारे शरीर में विद्यमान हैं। तुम उन्हें जाग्रत करने का कष्ट नहीं करते। कितनी ही शक्तियों से कार्य न लेकर तुम उन्हें कुंठित कर डालते हो। अन्य व्यक्ति उसी शक्ति को किसी विशेष दिशा में मोड़ कर उसे अधिक परिपुष्ट एवं विकसित कर लेते हैं। अपनी शक्तियों को जाग्रत तथा विकसित कर लेना अथवा उन्हें शिथिल, पंगु, निश्चेष्ट बना डालना, स्वयं तुम्हारे ही हाथ में है।

🔷 स्मरण रखो, संसार की प्रत्येक उत्तम वस्तु पर तुम्हारा जन्मसिद्ध अधिकार है। यदि अपने मन की गुप्त महान् सामर्थ्यों को जाग्रत कर लो और लक्ष्य की ओर प्रयत्न, उद्योग और उत्साहपूर्वक अग्रसर होना सीख लो, तो जैसा चाहो आत्मनिर्माण कर सकते हो। मनुष्य जिस वस्तु की आकांक्षा करता है, उसके मन में जिन महत्त्वाकांक्षाओं का उदय होता है और जो आशापूर्ण तरंगें उदित होती हैं, वे अवश्य पूर्ण हो सकती हैं, यदि वह दृढ़ निश्चय द्वारा अपनी प्रतिभा को जाग्रत कर ले।

🔶 अतएव प्रतिज्ञा कर लीजिए कि आप चाहे तो कुछ हों, जिस स्थिति, जिस वातावरण में हो, आप एक कार्य अवश्य करेंगे, वह यही कि अपनी शक्तियों को ऊँची से ऊँची बनाएँगे।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति-जन. 1948 पृष्ठ 1

http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1948/January/v1.1

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