👉 मानवी जीवन आध्यात्मिक रहस्यों से भरा
प्राण की ही भाँति मन के आध्यात्मिक रहस्यों से मनोवैज्ञानिकों का समुदाय अपरिचित है। मन सोच- विचार के संस्थान से कुछ ज्यादा है। इसी तरह से इसके अवचेतन- अचेतन की परतों की गहराई वर्तमान जीवन से कहीं अधिक है। इसमें असंख्य ऐसे गहरे भेद समाए हैं, जिन्हें केवल आध्यात्मिक साधनाओं से ही उभारा उकेरा और जगाया जा सकता है। ऐसा होने पर यही मन हमें अतीन्द्रिय झलकें दिखाने लगता है। किसी अनजाने झरोखे से भविष्य की झाँकी मिलने लगती है। जीवन की परतें बहुतेरी हैं, इनके रहस्य भी असंख्य हैं, पर इन्हें जान वही सकता है, जो सचमुच में जिज्ञासु है। जिसमें स्वस्थ जीवन का सही अर्थ खोजने की लालसा है। जो इस सत्य को समझता है कि आध्यात्मिक चिकित्सा से ही स्वस्थ एवं सफल जीवन के वरदान पाए जा सकते हैं।
ऐसे ही एक सच्चे जिज्ञासु सन् १९५३ में श्री अरविन्द आश्रम में साधना के लिए आए। हालाँकि उनका पाण्डिचेरी से पुराना रिश्ता था। वह यहाँ पर फ्रांसीसी औपनिवेशिक सरकार में पहले सेवारत रहे थे। और तभी उनका श्री अरविन्द एवं श्री मां से भाव भरा सम्बन्ध बना था। ‘मानव जीवन में अनन्त आध्यात्मिक रहस्य समाए हैं’- इस एक बात ने उनकी गहरी हृततन्त्री को छू लिया। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। और गियाना के लिए रवाना हो गए। वहाँ उन्होंने अमेजान के जंगलों में अपनी साहसिक साधना में एक वर्ष बिताया। इसके बाद ब्राजील होते हुए अफ्रीका पहुँचे। इस साहस भरी खोज में उन्हें सद्गुरु के मार्गदर्शन की गहरी आवश्यकता महसूस हुई।
यही अहसास उन्हें श्री मां की शरण में ले आया। अपनी ३० वर्ष की आयु में वे श्री मां के समर्पित शिष्य हो गए। मां ने उन्हें सत्प्रेम कहकर सम्बोधित किया। साधना के लिए साहसिक संकल्प एवं सद्गुरु के प्रति सघन श्रद्धा के सुयोग ने उन्हें नयी शुरूआत दी। वे अपनी डगर पर चल पड़े। इस डगर पर चलते हुए उनके सामने एक के बाद एक नए- नए आध्यात्मिक रहस्य उजागर होने लगे। सबसे पहले उन्होंने अनुभव किया कि सृष्टि और मानव जीवन का मूल ऊर्जा है। इस ऊर्जा ने अपने निश्चित क्रम में विभिन्न आकार लिए हैं। लोकों की सृष्टि भी इसी तरह से हुई है और मानव जीवन भी इसी भांति अस्तित्व में आया है।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 डॉ. प्रणव पण्ड्या
📖 आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति पृष्ठ 15
प्राण की ही भाँति मन के आध्यात्मिक रहस्यों से मनोवैज्ञानिकों का समुदाय अपरिचित है। मन सोच- विचार के संस्थान से कुछ ज्यादा है। इसी तरह से इसके अवचेतन- अचेतन की परतों की गहराई वर्तमान जीवन से कहीं अधिक है। इसमें असंख्य ऐसे गहरे भेद समाए हैं, जिन्हें केवल आध्यात्मिक साधनाओं से ही उभारा उकेरा और जगाया जा सकता है। ऐसा होने पर यही मन हमें अतीन्द्रिय झलकें दिखाने लगता है। किसी अनजाने झरोखे से भविष्य की झाँकी मिलने लगती है। जीवन की परतें बहुतेरी हैं, इनके रहस्य भी असंख्य हैं, पर इन्हें जान वही सकता है, जो सचमुच में जिज्ञासु है। जिसमें स्वस्थ जीवन का सही अर्थ खोजने की लालसा है। जो इस सत्य को समझता है कि आध्यात्मिक चिकित्सा से ही स्वस्थ एवं सफल जीवन के वरदान पाए जा सकते हैं।
ऐसे ही एक सच्चे जिज्ञासु सन् १९५३ में श्री अरविन्द आश्रम में साधना के लिए आए। हालाँकि उनका पाण्डिचेरी से पुराना रिश्ता था। वह यहाँ पर फ्रांसीसी औपनिवेशिक सरकार में पहले सेवारत रहे थे। और तभी उनका श्री अरविन्द एवं श्री मां से भाव भरा सम्बन्ध बना था। ‘मानव जीवन में अनन्त आध्यात्मिक रहस्य समाए हैं’- इस एक बात ने उनकी गहरी हृततन्त्री को छू लिया। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। और गियाना के लिए रवाना हो गए। वहाँ उन्होंने अमेजान के जंगलों में अपनी साहसिक साधना में एक वर्ष बिताया। इसके बाद ब्राजील होते हुए अफ्रीका पहुँचे। इस साहस भरी खोज में उन्हें सद्गुरु के मार्गदर्शन की गहरी आवश्यकता महसूस हुई।
यही अहसास उन्हें श्री मां की शरण में ले आया। अपनी ३० वर्ष की आयु में वे श्री मां के समर्पित शिष्य हो गए। मां ने उन्हें सत्प्रेम कहकर सम्बोधित किया। साधना के लिए साहसिक संकल्प एवं सद्गुरु के प्रति सघन श्रद्धा के सुयोग ने उन्हें नयी शुरूआत दी। वे अपनी डगर पर चल पड़े। इस डगर पर चलते हुए उनके सामने एक के बाद एक नए- नए आध्यात्मिक रहस्य उजागर होने लगे। सबसे पहले उन्होंने अनुभव किया कि सृष्टि और मानव जीवन का मूल ऊर्जा है। इस ऊर्जा ने अपने निश्चित क्रम में विभिन्न आकार लिए हैं। लोकों की सृष्टि भी इसी तरह से हुई है और मानव जीवन भी इसी भांति अस्तित्व में आया है।
.... क्रमशः जारी
✍🏻 डॉ. प्रणव पण्ड्या
📖 आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति पृष्ठ 15