🔸 साधु-ब्राह्मणों का यह एक परम पवित्र कर्त्तव्य है कि इस समय जिस धर्म के आश्रय में वे अपनी आजीविका चलाते हैं और पूजा-सम्मान प्राप्त करते हैं उस धर्म रक्षा के लिए उन्हें कुछ काम भी करना चाहिए-कष्ट भी उठाना चाहिए। आज जबकि धर्म संकट में है, देश की सुरक्षा एवं प्रगति का प्रश्र है तब तो उन्हें उन आदर्शों को परिपुष्ट करने के लिए अपना समय लगाना ही चाहिए। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी दक्षिणा बटोरने और पैर पुजाने का ही धंधा करते रहे, कर्त्तव्य की तिलांजलि दिये बैठे रहे तो आगामी पीढ़ियँ उन्हें क्षमा न करेंगी।
🔹 आज दहेज का असुर भाषण-लेखों और प्रस्तावों की मार खाकर भी दहेज का असुर मरता नहीं। रक्तबीज की तरह वह चोट खाकर और भी अधिक विकराल बनता चला जा रहा है। इसका अंत ऐसे होगा कि युग निर्माण योजना के सदस्य बच्चे यह प्रतिज्ञा करेंगे कि वे विचारशील साथी से ही विवह करेंगे। दहेज और विवाहोन्माद में होने वाले भारी अपव्यय को हटाकर बिना खर्च की विधि से विवाह करेंगे। यदि अभिभावक इस निश्चय को मान्यता न देंगे तो वे आजीवन कुमार या कुमारी ही रहकर पवित्र जीवन व्यतीत करेंगे।
🔸 आज भड़कीला शृंगार फैशन कहा जाता है और उसे कला, सुरुचि एवं सभ्यता का चिह्न कहकर पुकारा जाता है। कहा और माना जो कुछ भी जाय वास्तविकता ज्यों की त्यों रहेगी। हमारे उठती उम्र के बच्चे और बच्ची इस पतन पथ पर कदम न बढ़ाएँ इसका ख्याल रखा जाना चाहिए। उत्तेजक शृंगार की जड़ में वासना का विकार स्पष्ट है इससे देखने वालों के मन में विक्षोभ उत्पन्न होता है। इसलिए हम सफाई से रहें, स्वच्छता पसंद करें, सादगी से रहें और सभ्य वेशभूषा धारण करें।
🔹 मातृत्व पर-नारीत्व पर सर्वाधिक लानत फेंकने का काम दहेज के राक्षस ने किया है। इसे समझा भी गया तथा उसके निवारण के प्रयास भी बहुत हुए,सामाजिक भर्त्सनाएँ की गई, कानून भी बना। दहेज के प्रतिरोध में सैकड़ों विचारशील व्यक्तियों ने लिखा, भाषण किया, पर पुरानी पीढ़ी अपने स्थान से तिल भर हटने की तैयारी नहीं। दहेज के दानव ने हर किसी का अहित किया है, पर अपनी बाजी से कोई नहीं चूकता। जब कोई साहसपूर्वक प्रतिरोध, संघर्ष एवं आदर्श उपस्थित करने को तैयार होगा, तभी कुछ समस्या हल होगी। यह आशा अब नये रक्त से हीस शेष है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔹 आज दहेज का असुर भाषण-लेखों और प्रस्तावों की मार खाकर भी दहेज का असुर मरता नहीं। रक्तबीज की तरह वह चोट खाकर और भी अधिक विकराल बनता चला जा रहा है। इसका अंत ऐसे होगा कि युग निर्माण योजना के सदस्य बच्चे यह प्रतिज्ञा करेंगे कि वे विचारशील साथी से ही विवह करेंगे। दहेज और विवाहोन्माद में होने वाले भारी अपव्यय को हटाकर बिना खर्च की विधि से विवाह करेंगे। यदि अभिभावक इस निश्चय को मान्यता न देंगे तो वे आजीवन कुमार या कुमारी ही रहकर पवित्र जीवन व्यतीत करेंगे।
🔸 आज भड़कीला शृंगार फैशन कहा जाता है और उसे कला, सुरुचि एवं सभ्यता का चिह्न कहकर पुकारा जाता है। कहा और माना जो कुछ भी जाय वास्तविकता ज्यों की त्यों रहेगी। हमारे उठती उम्र के बच्चे और बच्ची इस पतन पथ पर कदम न बढ़ाएँ इसका ख्याल रखा जाना चाहिए। उत्तेजक शृंगार की जड़ में वासना का विकार स्पष्ट है इससे देखने वालों के मन में विक्षोभ उत्पन्न होता है। इसलिए हम सफाई से रहें, स्वच्छता पसंद करें, सादगी से रहें और सभ्य वेशभूषा धारण करें।
🔹 मातृत्व पर-नारीत्व पर सर्वाधिक लानत फेंकने का काम दहेज के राक्षस ने किया है। इसे समझा भी गया तथा उसके निवारण के प्रयास भी बहुत हुए,सामाजिक भर्त्सनाएँ की गई, कानून भी बना। दहेज के प्रतिरोध में सैकड़ों विचारशील व्यक्तियों ने लिखा, भाषण किया, पर पुरानी पीढ़ी अपने स्थान से तिल भर हटने की तैयारी नहीं। दहेज के दानव ने हर किसी का अहित किया है, पर अपनी बाजी से कोई नहीं चूकता। जब कोई साहसपूर्वक प्रतिरोध, संघर्ष एवं आदर्श उपस्थित करने को तैयार होगा, तभी कुछ समस्या हल होगी। यह आशा अब नये रक्त से हीस शेष है।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
All World Gayatri Pariwar Official Social Media Platform
*शांतिकुंज हरिद्वार के ऑफिशल व्हाट्सएप चैनल *awgpofficial Channel* को Follow करे*
https://whatsapp.com/channel/ 0029VaBQpZm6hENhqlhg453J
https://whatsapp.com/channel/
8439014110 शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए 8439014110 पर अपना नाम लिख कर WhatsApp करें
Official Facebook Page
Official Twitter
Official Instagram
Youtube Channel Rishi Chintan
Youtube Channel Shantikunjvideo
Official Telegram