🔷 अमेरिकन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के विरोधी, अखबारों में जी-खोलकर उनकी बुराई करते थे। लेकिन, लिंकन इन बातों से विचलित नहीं होते थे और अपने काम मे जुटे रहते थे।
🔷 एक दिन उनके मित्र ने उनसे कहा, 'विरोधी लोग आपके खिलाफ चाहे अनेक ऊल-जलूल बातें अखबारों में प्रकाशित करवाते रहें, उनकी बातों का प्रत्युत्तर आपको भी तो देना चाहिए।
🔷 मित्र की बात सुनकर लिंकन मुस्कुराते हुए बोले, 'दोस्त यदि मैं अपनी आलोचनाओं का उत्तर देने लगूं तो दिनभर में केवल इसी काम को कर पाउंगा, मेरे कार्यालय में फिर कोई अन्य कार्य नहीं होगा। मेरा एक ही उद्देश्य है।
🔷 अपनी सारी योग्यता और शक्ति का उपयोग करते हुए ईमानदारी पूर्वक अपना काम करना। वह मैं करता हूं। और इस पद पर रहने की अंतिम घड़ियों तक करता रहूंगा।'
🔷 यदि में अंत में बुरा सिद्ध होता हूं, तो मैं भले ही लाख सफाई देता रहूं कि में सही था, मेरा रास्ता सही था कोई इस बात को नहीं सुनेगा और यदि में अंत में भला सिद्ध होता हूं तो मेरे विषय में जो प्रलाप किया जा रहा है, वह निश्चित रूप से अनर्गल सिद्द होगा। मुझे इस बात को लेकर न तो चिंता है और न ही भय।
🔷 एक दिन उनके मित्र ने उनसे कहा, 'विरोधी लोग आपके खिलाफ चाहे अनेक ऊल-जलूल बातें अखबारों में प्रकाशित करवाते रहें, उनकी बातों का प्रत्युत्तर आपको भी तो देना चाहिए।
🔷 मित्र की बात सुनकर लिंकन मुस्कुराते हुए बोले, 'दोस्त यदि मैं अपनी आलोचनाओं का उत्तर देने लगूं तो दिनभर में केवल इसी काम को कर पाउंगा, मेरे कार्यालय में फिर कोई अन्य कार्य नहीं होगा। मेरा एक ही उद्देश्य है।
🔷 अपनी सारी योग्यता और शक्ति का उपयोग करते हुए ईमानदारी पूर्वक अपना काम करना। वह मैं करता हूं। और इस पद पर रहने की अंतिम घड़ियों तक करता रहूंगा।'
🔷 यदि में अंत में बुरा सिद्ध होता हूं, तो मैं भले ही लाख सफाई देता रहूं कि में सही था, मेरा रास्ता सही था कोई इस बात को नहीं सुनेगा और यदि में अंत में भला सिद्ध होता हूं तो मेरे विषय में जो प्रलाप किया जा रहा है, वह निश्चित रूप से अनर्गल सिद्द होगा। मुझे इस बात को लेकर न तो चिंता है और न ही भय।