🔶 जीवन जीने की कला, संसार में दृष्टिगोचर होने वाली कलाओं में सर्वश्रेष्ठ है। जिसको सही रीति से जिन्दगी जीना आ गया उसे अत्यन्त उच्चकोटि का कलाकार कहना चाहिए। वह दूसरों को प्रभावित, आकर्षित करने से लेकर अन्तःकरण को प्रमुदित करने तक के उन समस्त लाभों को कहीं अधिक मात्रा में प्राप्त करता है जो भौतिक विशेषताओं से सम्पन्न कलाकारों में से किसी-किसी को कभी-कभी या कठिनाई से ही उपलब्ध होते हैं।
🔷 बालकों जैसा स्वच्छ हृदय छल, कपट से सर्वथा रिक्त सरल व्यवहार सौम्य सादगी से भरी सरलता-विनम्र सज्जनता-निर्दोष क्रिया-कलाप-मधुरता और ममता से भरे वचन व्यवहार किसी भी व्यक्तित्व को इतना सुकोमल बना देते हैं कि उसका आन्तरिक सौंदर्य देखते-देखते दर्शकों की आंखें ही तृप्त नहीं ऐसे पारिजात पुष्प पर न जाने कितने मधु लोलुप कीट-पतंग मंडराते रहते हैं और उसके पराग से लाभान्वित होकर धन्य बनते रहते हैं।
🔶 संयम की शोभा देखते ही बनती है। इन्द्रिय संयम की महिमा पर जिसे विश्वास है, उसकी आँखों का तेज, वाणी का प्रभाव, चेहरे का ओज, संपर्क में आने वालों को सहज ही प्रभावित करेगा। बुद्धि की प्रखरता और विवेकशील दूरदर्शिता की कमी न रहेगी। वासना और तृष्णा पर नियंत्रण करने वाला व्यक्ति सहज ही इतने साधन और अवसर प्राप्त कर लेता है जिससे महानता के उच्च-शिखर पर चढ़ सकना तनिक भी कष्टकर न रहकर अत्यन्त सरल बन जाय। ऐसे लोग शरीर और मन के दोनों ही क्षेत्रों में समुचित समर्थता से सम्पन्न रहते हैं। न तो वे रुग्ण रहते हैं और न दीन दुर्बल। उन्हें कभी भी कातर स्थिति में नहीं देखा जा सकता है। विपत्तियाँ भी उनके धैर्य और साहस को चुनौती नहीं दे सकतीं।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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