🔴 देवता क्या देते हैं? देवता हजम करने की ताकत देते हैं। जो दुनियाबी दौलत या जिन चीजों को आप माँगते हैं जो आपको खुशी का बायस मालूम पड़ती हैं, उन सारी चीजों को हजम करने के लिए विशेषता होनी चाहिए। इसी का नाम है—देवत्व। देवत्व अगर प्राप्त हो जाता है, तो फिर आप दुनिया की हर चीज से, थोड़ी-से थोड़ी चीजों से लेकर फायदा उठा सकते हैं। अगर वे न भी हो तो काम चल सकता है। ज्यादा चीजें हो जाएँ तो भी अच्छा है, यदि न हो जाएँ तो भी कोई हर्ज नहीं है। लेकिन अगर आप इस बात के लिए उतावले हैं कि जैसे भी पिछड़े हैं वैसे ही बने रहें, तो फिर कुछ कहना सम्भव नहीं है।
🔵 मनुष्य के शरीर में ताकत होनी चाहिए लेकिन समझदारी का नियन्त्रण न होने से आग में घी डालने, ईंधन डालने के तरीके से वह सिर्फ दुनिया में मुसीबतें पैदा करेगी। देवता किसी को दौलत देने की गलती नहीं कर सकते। अगर देते हैं तो इसका मतलब है कि तबाही कर रहे हैं। इनसानियत उस चीज का नाम है, जिसमें आदमी का चिन्तन, दृष्टिकोण, महत्त्वाकांक्षाएँ और गतिविधियाँ ऊँचे स्तर की हो जाती है। इनसानियत एक बड़ी चीज है।
🔴 मनोकामनाएँ पूरी करना खराब बात नहीं है, पर शर्त एक ही है कि यह किस काम के लिए, किस चीज के लिए माँगी गई हैं? अगर सांसारिकता के लिए माँगी गई हैं तो उससे पहले यह जानना जरूरी है कि उस दौलत को हजम कैसे कर सकते हैं? उसे खर्च कैसे कर सकते हैं? मनुष्य भूल कर सकता है, पर देवता भूल नहीं कर सकते। देवता आपको चीजें नहीं दे सकते जैसा कि मेरा अपना ख्याल है। देवताओं के सम्पर्क में आने वाले को भौतिक वस्तुएँ नहीं मिलीं। क्या मिला है? आदमी को गुण मिले हैं, देवत्व मिला है।
🔵 सद्गुणों के आधार पर आदमी को विकास करने का मौका मिला है। गुणों के विकसित होने के पश्चात् उन्होंने वह काम किए हैं, जिन्हें सामान्य मनुष्य सामान्य बुद्धि से काम करते हुए नहीं कर सकता। देवत्व के विकसित होने पर कोई भी उन्नति के शिखर पर जा पहुँचा सकता है, चाहे वह सांसारिक हो अथवा आध्यात्मिक। संसार और अध्यात्म में कोई फर्क नहीं पड़ता। गुणों के इस्तेमाल करने का तरीका भर है। गुण अपने आप में शक्ति के पुंज हैं, कर्म अपने आप में शक्ति के पुंज हैं और स्वभाव अपने आप में शक्ति के पुंज हैं। इन्हें कहाँ इस्तेमाल करना चाहते हैं, यह आपकी इच्छा की बात है।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
🔵 मनुष्य के शरीर में ताकत होनी चाहिए लेकिन समझदारी का नियन्त्रण न होने से आग में घी डालने, ईंधन डालने के तरीके से वह सिर्फ दुनिया में मुसीबतें पैदा करेगी। देवता किसी को दौलत देने की गलती नहीं कर सकते। अगर देते हैं तो इसका मतलब है कि तबाही कर रहे हैं। इनसानियत उस चीज का नाम है, जिसमें आदमी का चिन्तन, दृष्टिकोण, महत्त्वाकांक्षाएँ और गतिविधियाँ ऊँचे स्तर की हो जाती है। इनसानियत एक बड़ी चीज है।
🔴 मनोकामनाएँ पूरी करना खराब बात नहीं है, पर शर्त एक ही है कि यह किस काम के लिए, किस चीज के लिए माँगी गई हैं? अगर सांसारिकता के लिए माँगी गई हैं तो उससे पहले यह जानना जरूरी है कि उस दौलत को हजम कैसे कर सकते हैं? उसे खर्च कैसे कर सकते हैं? मनुष्य भूल कर सकता है, पर देवता भूल नहीं कर सकते। देवता आपको चीजें नहीं दे सकते जैसा कि मेरा अपना ख्याल है। देवताओं के सम्पर्क में आने वाले को भौतिक वस्तुएँ नहीं मिलीं। क्या मिला है? आदमी को गुण मिले हैं, देवत्व मिला है।
🔵 सद्गुणों के आधार पर आदमी को विकास करने का मौका मिला है। गुणों के विकसित होने के पश्चात् उन्होंने वह काम किए हैं, जिन्हें सामान्य मनुष्य सामान्य बुद्धि से काम करते हुए नहीं कर सकता। देवत्व के विकसित होने पर कोई भी उन्नति के शिखर पर जा पहुँचा सकता है, चाहे वह सांसारिक हो अथवा आध्यात्मिक। संसार और अध्यात्म में कोई फर्क नहीं पड़ता। गुणों के इस्तेमाल करने का तरीका भर है। गुण अपने आप में शक्ति के पुंज हैं, कर्म अपने आप में शक्ति के पुंज हैं और स्वभाव अपने आप में शक्ति के पुंज हैं। इन्हें कहाँ इस्तेमाल करना चाहते हैं, यह आपकी इच्छा की बात है।
🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य