🔷 भगवान् बुद्ध के एक अनुयायी ने कहा, प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है।बुद्ध: बताओ क्या कहना है?
🔶 अनुयायी: मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं. अब ये पहनने के लायक नहीं रहे. कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें!
🔷 बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे, वे सचमुच बिलकुल जीर्ण हो चुके थे और जगह जगह से घिस चुके थे… इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को नए वस्त्र देने का आदेश दे दिए. कुछ दिनों बाद बुद्ध अनुयायी के घर पहुंचे.
🔶 बुद्ध: क्या तुम अपने नए वस्त्रों में आराम से हो? तुम्हे और कुछ तो नहीं चाहिए?
🔷 अनुयायी: धन्यवाद प्रभु मैं इन वस्त्रों में बिलकुल आराम से हूँ और मुझे और कुछ नहीं चाहिए।
🔶 बुद्ध: अब जबकि तुम्हारे पास नए वस्त्र हैं तो तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया?
🔷 अनुयायी: मैं अब उसे ओढने के लिए प्रयोग कर रहा हूँ?
🔶 बुद्ध: तो तुमने अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया?
🔷 अनुयायी: जी मैंने उसे खिड़की पर परदे की जगह लगा दिया है।
🔶 बुद्ध: तो क्या तुमने पुराने परदे फ़ेंक दिए?
🔷 अनुयायी: जी नहीं, मैंने उसके चार टुकड़े किये और उनका प्रयोग रसोई में गरम पतीलों को आग से उतारने के लिए कर रहा हूँ।
🔶 बुद्ध: तो फिर रसॊइ के पुराने कपड़ों का क्या किया?
🔷 अनुयायी: अब मैं उन्हें पोछा लगाने के लिए प्रयोग करूँगा।
🔶 बुद्ध: तो तुम्हारा पुराना पोछा क्या हुआ?
🔷 अनुयायी: प्रभु वो अब इतना तार -तार हो चुका था कि उसका कुछ नहीं किया जा सकता था, इसलिए मैंने उसका एक -एक धागा अलग कर दिए की बातियाँ तैयार कर लीं…. उन्ही में से एक कल रात आपके कक्ष में प्रकाशित था।
🔶 बुद्ध अनुयायी से संतुष्ट हो गए वो प्रसन्न थे कि उनका शिष्य वस्तुओं को बर्वाद नहीं करता और उसमे समझ है कि उनका उपयोग किस तरह से किया जा सकता है।
🔷 दोस्तों, आज जब प्राकृतिक संसाधन दिन – प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं ऐसे में हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को बर्वाद ना करें और अपने छोटे छोटे प्रयत्नों से इस धरा को सुरक्षित बना कर रखें।
🔶 अनुयायी: मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं. अब ये पहनने के लायक नहीं रहे. कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें!
🔷 बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे, वे सचमुच बिलकुल जीर्ण हो चुके थे और जगह जगह से घिस चुके थे… इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को नए वस्त्र देने का आदेश दे दिए. कुछ दिनों बाद बुद्ध अनुयायी के घर पहुंचे.
🔶 बुद्ध: क्या तुम अपने नए वस्त्रों में आराम से हो? तुम्हे और कुछ तो नहीं चाहिए?
🔷 अनुयायी: धन्यवाद प्रभु मैं इन वस्त्रों में बिलकुल आराम से हूँ और मुझे और कुछ नहीं चाहिए।
🔶 बुद्ध: अब जबकि तुम्हारे पास नए वस्त्र हैं तो तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया?
🔷 अनुयायी: मैं अब उसे ओढने के लिए प्रयोग कर रहा हूँ?
🔶 बुद्ध: तो तुमने अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया?
🔷 अनुयायी: जी मैंने उसे खिड़की पर परदे की जगह लगा दिया है।
🔶 बुद्ध: तो क्या तुमने पुराने परदे फ़ेंक दिए?
🔷 अनुयायी: जी नहीं, मैंने उसके चार टुकड़े किये और उनका प्रयोग रसोई में गरम पतीलों को आग से उतारने के लिए कर रहा हूँ।
🔶 बुद्ध: तो फिर रसॊइ के पुराने कपड़ों का क्या किया?
🔷 अनुयायी: अब मैं उन्हें पोछा लगाने के लिए प्रयोग करूँगा।
🔶 बुद्ध: तो तुम्हारा पुराना पोछा क्या हुआ?
🔷 अनुयायी: प्रभु वो अब इतना तार -तार हो चुका था कि उसका कुछ नहीं किया जा सकता था, इसलिए मैंने उसका एक -एक धागा अलग कर दिए की बातियाँ तैयार कर लीं…. उन्ही में से एक कल रात आपके कक्ष में प्रकाशित था।
🔶 बुद्ध अनुयायी से संतुष्ट हो गए वो प्रसन्न थे कि उनका शिष्य वस्तुओं को बर्वाद नहीं करता और उसमे समझ है कि उनका उपयोग किस तरह से किया जा सकता है।
🔷 दोस्तों, आज जब प्राकृतिक संसाधन दिन – प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं ऐसे में हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को बर्वाद ना करें और अपने छोटे छोटे प्रयत्नों से इस धरा को सुरक्षित बना कर रखें।