सोमवार, 6 दिसंबर 2021

👉 जिनमें साहस हो आगे आवें-

हमारा निज का कुछ भी कार्य या प्रयोजन नहीं है। मानवता का पुनरुत्थान होने जा रहा है। ईश्वर उसे पूरा करने वाले हैं। दिव्य आत्माएँ उसी दिशा में कार्य कर भी रही हैं। उज्ज्वल भविष्य की आत्मा उदय हो रही है, पुण्य प्रभाव का उदय होना सुनिश्चित है। हम चाहे तो उसका श्रेय ले सकते हैं और अपने आपको यशस्वी बना सकते हैं। देश को स्वाधीनता मिली, उसमें योगदान देने वाले अमर हो गये। यदि वे नहीं भी आगे आते तो भी स्वराज्य तो आता ही वे बेचारे और अभागे मात्र बनकर रह जाते। ठीक वैसा ही अवसर अब है। बौद्धिक, नैतिक एवं सामाजिक क्रान्ति अवश्यम्भावी है। उसका मोर्चा राजनैतिक लोग नहीं धार्मिक कार्यकर्त्ता संभालेंगे। यह प्रक्रिया युग-निर्माण योजना के रूप में आरम्भ हुई है। हम चाहते हैं इसके संचालन का भार मजबूत हाथों में चला जाए। ऐसे लोग अपने परिवार में जितने भी हों, जो भी हों, जहाँ भी हों, एकत्रित हो जाएँ और अपना काम सँभाल लें। उत्तर-दायित्व सौंपने की, प्रतिनिधि नियुक्त करने की योजना के पीछे हमारा यही उद्देश्य है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी १९६५

👉 परीक्षा की वेला आ गई-

साल में एक बार छात्रों की परीक्षा होती है, उस पर उनके आगामी वर्ष का आधार बनता है। प्रबुद्ध आत्माओं की परीक्षा का भी कभी-कभी समय आया करता है। त्रेता में दूसरे लोग कायरताग्रस्त हो चुप हो बैठे थे, तब रीछ बन्दरों ने वह परीक्षा उत्तीर्ण की थी। द्वापर में पाँच पाण्डवों ने भगवान का मनोरथ पूरा किया था। पिछले दिनों गुरु गोविन्दसिंह के साथी सिखों ने और समर्थ गुरु रामदास के शिवाजी आदि मराठा शिष्यों ने ईश्वर भक्ति की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। गायत्री की पुकार पर भी कितनों ने ही अपनी श्रेष्ठता का परिचय दिया था।

नव-निर्माण की ऐतिहासिक वेला में अब फिर प्रबुद्ध तेजस्वी, जागृत और उदात्त आध्यात्मिक भूमिका वाले ईश्वर भक्तों की पुकार हुई है। समय आने पर दूध पीने वाले मजनुओं की तरह हमें आंखें नहीं चुरानी चाहिए। यह समय ईश्वर से नाना प्रकार के मनोरथ पूरे करने के लिए अनुनय विनय करने का नहीं, वरन् उसकी परीक्षा कसौटी पर चढ़कर खरे उतरने का है। युग की पुकार ईश्वर की इच्छा का ही सन्देश लेकर आई है। माँगने की अपेक्षा देने का प्रश्न सामने उपस्थित किया है और अपनी भक्ति एवं आध्यात्मिकता को खरी सिद्ध करने की चुनौती प्रस्तुत की है। इस विषम बेला में हमें विचलित नहीं होना है वरन् श्रद्धापूर्वक आगे बढ़ना है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी १९६५

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