शनिवार, 8 दिसंबर 2018

👉 जीवन एक समझौता है।

जीवन एक समझौता है, सिर उठाकर चलने में सिर कटने का खतरा है। जो पेड़ अकड़े खड़े रहते हैं वे ही आँधी से उखड़ते देखे गये हैं। बेंत की बेल जो सदा झुकी रहती है हर आँधी तूफान से बच जाती है। धरती पर उगी हुई घास को देखो वह आँधी से टकराती नहीं वरन हवा चलने पर उसी दिशा में मुझ जाती है जिधर को हवा का रुख होता है। इस परिस्थिति का परखने वाली घास का कोई आँधी तूफान कुछ बिगाड़ नहीं सकता।

नवकर चलो। मत कहो कि हमीं सही है और हमारी बात सब को माननी चाहिए। मत समझो कि तुम्हीं सबसे श्रेष्ठ निर्दोष और बुद्धिमान हो। दूसरे लोग भी अपने दृष्टिकोण के अनुसार सही हो सकते है और हो सकता है जिन परिस्थितियों में वे रहे है उनमें उनके लिए वैसा ही सोचना, बनना, करना भी स्वाभाविक हो। इसलिए दूसरों को समझने की कोशिश करो। उनके दृष्टि कोण की, उनकी परिस्थितियों की भिन्नता को स्वीकार करो।

इस दुनियाँ का सारा कारोबार एक दूसरे को समझने और सहन करने की नींव पर ठहरा हुआ है। समझौता ही जीवन का प्रधान आधार है। यदि तुम अड़ियल और जिद्दी बनकर अपने ही मत की श्रेष्ठता प्रतिपादन करते रहोगे तो कुछ ही दिन में अपने को अकेला पड़ा हुआ और असफलता के गर्त में गिरता हुआ पाओगे।

✍🏻 ~ पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति 1961 जून Page 23

👉 आत्मचिंतन के क्षण 8 Dec 2018

मानवता का ही दूसरा नाम-भारतीय धर्म, भारतीय सभ्यता, भारतीय संस्कृति है। हमारे पूर्वज मनुष्यता के उपासक रहे हैं। उन्होंने साध्य की प्राप्ति के लिए साधन की पवित्रता की कभी भी उपेक्षा नहीं की है। वरन् इस बात पर जोर दिया है कि हमारी आवश्यकताएँ तथा इच्छाएँ भले ही अपूर्ण रह जावें, परन्तु उनकी प्राप्ति का मार्ग न्यायोचित एवं धर्मानुकूल ही होना चाहिए।  अधर्म एवं अन्याय से प्राप्त होने वाले सुख एवं वैभव की यहाँ सदा निन्दा ही की जाती रही ह्रै।

 झूठ किसी भी तरह, किसी भी बहाने से, किसी भी कारण क्यों न बोला जाय, आखिर वह झूठ ही है और उससे व्यक्ति तथा समाज का जीवन प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। झूठ के दुष्परिणाम व्यक्ति और समाज दोनों को ही भुगतने पड़ते हैं। जिस समाज में झूठ का बोलबाला जितना अधिक होगा, वह उतना ही पतित और अविकसित होता जाएगा।

स्वाध्यायशील व्यक्ति अपनी आत्मा का सफल चिकित्सक होता है। स्वाध्याय से उपार्जित ज्ञान द्वारा वह अपनी आत्मिक व्याधियों को जान लेता है और उनका निदान निर्धारित कर लेता है। निदान खोज लेने पर व्याधियों का उपचार तो सहज ही में हो जाता है। मानसिक एकाग्रता की उपलब्धि उसे इस मार्ग में सहायक बनकर बढ़ाया करती है, जिससे उसका जीवन उच्छृंखलताओं एवं अवांछनीयताओं से मुक्त होकर महान् एवं सुखी बन जाता ह्रै।

👉अपने ऊपर विश्वास कीजिए

विश्वास कीजिये कि वर्तमान निम्न स्थिति को बदल देने की सामर्थ्य प्रत्येक मनुष्य में पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है। आप जो सोचते हैं, विचारते हैं, जिन बातों को प्राप्त करने की योजनाएँ बनाते हैं, वे आन्तरिक शक्तियों के विकास से अवश्य प्राप्त कर सकते हैं। 

विश्वास कीजिए कि जो कुछ महत्ता, सफलता, उत्तमता, प्रसिद्ध, समृद्धि अन्य व्यक्तियों ने प्राप्त की है, वह आप भी अपनी आन्तरिक शक्तियों द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। आपमें वे सभी उत्तमोत्तम तत्व वर्तमान हैं, जिनसे उन्नति होती है। न जाने कब, किस समय, किस अवसर किस परिस्थिति में आपके जीवन का आन्तरिक द्वार खुल जाय और आप सफलता के उच्च शिखर पर पहुँच जायं। 

विश्वास कीजिये कि आपमें अद्भुत आन्तरिक शक्तियाँ निवास करती हैं। अज्ञानवश आप की अज्ञात, विचित्र, और रहस्यमय शक्तियों के भंडार को नहीं खोलते। आप जिस मनोबल आत्मबल या निश्चयबल का करिश्मा देखते हैं, वह कोई जादू नहीं, वरन् आपके द्वारा सम्पन्न होने वाला एक दैवी नियम है। सब में से असाधारण एवं चमत्कारिक शक्तियाँ समान रूप से व्याप्त हैं। संसार के अगणित व्यक्तियों ने जो महान् कार्य किये हैं, वे आप भी कर सकते हैं।


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