गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 14 Dec 2023

🔶 जीवन का लक्ष्य खाओ पीओ मौज करो के अतिरिक्त कुछ और ही रहा होगा यदि हमने अपना अवतरण ईश्वर के सहायक सहयोगी के रूप में उसकी सृष्टि को सुन्दर समुन्नत बनाने के लिए हुआ अनुभव किया होता पर किया क्या जाय बुद्धिमान समझे जाने वाले मनुष्य पर अदूरदर्शिता और मूर्खता भी उतनी ही सघन बनकर छाई हुई है।

🔷 असत्य का मार्ग पकड़ कर लोग थोड़े दिनों तक लाभ अर्जित कर सकते हैं, अपनी आमदनी और इज्जत बढ़ा सकते हैं, अपनी शान-शौकत जताकर लोगों को थोड़े दिन तक उल्लू बना सकते हैं, किन्तु रामलीला के नकली रावण को जैसे ही दियासलाई लगती है, विशालकाय रावण थोड़ी ही देर में जलकर भस्म हो जाता है। वैसे ही असत्य का अनावरण एक न एक दिन होता ही है। स्थिरता केवल सचाई में है। उसको समझने में देर भले ही लग सकती है। अन्ततः विजय सत्य की होती है। “सत्यमेव जयते नानृतमः”।

🔶 सत्य-पथ का पथिक न कभी अशान्त होता है, न शोक करता है, न सन्ताप करता है। यह सब असत्य-परायणों के लिए ही निश्चित हैं। सत्य-परायण के लिए लोक में शान्ति एवं सम्मान तथा परलोक में स्वर्ग सुरक्षित रखा है, जिसे वह अधिकारपूर्वक प्राप्त करता है। सत्य का अनुसरण करने वाला क्या भौतिक और क्या आध्यात्मिक किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होता। सत्य बोलने, सत्य के अनुरूप सोचने और सत्य से स्वीकृत कर्म करने से ही मनुष्य सत्य-स्वरूप परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। 

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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👉 सज्जनता घाटे में नहीं रहती

उदार-प्रकृति के लोग कई बार चालाक लोगों द्वारा ठगे जाते हैं और उससे उन्हें घाटा ही रहता है, पर उनकी सज्जनता से प्रभावित होकर दूसरे लोग जितनी उनकी सहायता करते हैं उस लाभ के बदले में ठगे जाने का घाटा कम ही रहता है । सब मिलाकर वे लाभ में ही रहते हैं ।

इसी प्रकार स्वार्थी लोग किसी के काम नहीं आने से अपना कुछ हर्ज या हानि होने का अवसर नहीं आने देते, पर उनकी कोई सहायता नहीं करता तो वे उस लाभ से वंचित भी रहते हैं । ऐसी दशा में वह अनुदार चालाक व्यक्ति, उस उदार और भोले व्यक्ति की अपेक्षा घाटे में ही रहता है ।

दुहरे बाँट रखने वाले बेईमान दुकानदारों को कभी फलते-फूलते नहीं देखा गया । स्वयं खुदगर्जी और अशिष्टता बरतने वाले लोग जब दूसरों से सज्ज्नता और सहायता की आशा करते हैं तो ठीक दुहरे बाँट वाले बेईमान दुकानदार का अनुकरण करते हैं । ऐसा व्यवहार कभी किसी के लिए उन्नति और प्रसन्नता का कारण नहीं बन सकता ।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-६६ (५.१७)


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👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...