हम जिन्दगी जीने की कला सीखें। अपने दृष्टिकोण, चिन्तन, व्यवहार को कलात्मक बनायें। व्यवस्था का प्रत्येक क्रिया-कलाप में समावेश करें। सौंदर्यवान अपने प्रत्येक संबद्ध पदार्थ को स्वच्छ बनाये। अपने वचन और व्यवहार जीवन जिया जा सकता है। कलाकारिता का यह अति महत्वपूर्ण क्षेत्र हर किसी के सामने खुला पड़ा है-इस मार्ग पर कदम बढ़ाते हुए हममें से कोई भी सर्वोत्कृष्ट कलाकारिता की उपलब्धि का रसास्वादन कर सकता है।
जो करना है उसके गुण, दोषों पर-भली बुरी सम्भावनाओं पर हजार बार विचार करना चाहिए। उजेले ओर अँधेरे पक्षों की गम्भीरतापूर्वक विवेचना करनी चाहिए। इसमें थोड़ी देर लगती हो तो हर्ज नहीं। आवेशग्रस्त उतावली, मनःस्थिति में बढ़े-चढ़े निर्णय कर डालना और फिर प्रस्तुत कठिनाइयों को देखकर निराश हो बैठना बचकाना तरीका है। इससे अपनी हिम्मत टूटती है और जग हँसाई होती है। एक पक्षीय विचार करने की दुर्बलता ही अक्सर ऐसे कदम उठा देती है जो वर्तमान परिस्थितियोँ में नहीं उठाये जाने चाहिए थे।
जो करना है उसके गुण, दोषों पर-भली बुरी सम्भावनाओं पर हजार बार विचार करना चाहिए। उजेले ओर अँधेरे पक्षों की गम्भीरतापूर्वक विवेचना करनी चाहिए। इसमें थोड़ी देर लगती हो तो हर्ज नहीं। आवेशग्रस्त उतावली, मनःस्थिति में बढ़े-चढ़े निर्णय कर डालना और फिर प्रस्तुत कठिनाइयों को देखकर निराश हो बैठना बचकाना तरीका है। इससे अपनी हिम्मत टूटती है और जग हँसाई होती है। एक पक्षीय विचार करने की दुर्बलता ही अक्सर ऐसे कदम उठा देती है जो वर्तमान परिस्थितियोँ में नहीं उठाये जाने चाहिए थे।
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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