गुरुवार, 27 जुलाई 2017

👉 भगवान शिव और उनका तत्त्वदर्शन (अंतिम भाग)

🔵 हिन्दू समाज के पूज्य जिनकी हम दोनों वक्त आरती उतारते हैं, जप करते हैं, शिवरात्रि के दिन पूजा और उपवास करते हैं और न जाने क्या-क्या प्रार्थनाएँ करते-कराते हैं। क्या वे भगवान शंकर हमारी कठिनाइयों का समाधान नहीं कर सकते? क्या हमारी उन्नति में कोई सहयोग नहीं दे सकते? भगवान को देना चाहिए, हम उनके प्यारे हैं, उपासक हैं। हम उनकी पूजा करते हैं, वे बादल के तरीके से हैं। अगर पात्रता हमारी विकसित होती चली जाएगी तो वह लाभ मिलते चले जाएँगे जो शंकर भक्तों को मिलने चाहिए।

🔴 शंकर भगवान के स्वरूप का जैसा कि मैंने आपको निवेदन किया, इसी प्रकार के सारे पौराणिक कथानकों, सारे देवी-देवताओं में संदेश और शिक्षाएँ भरी पड़ी हैं। काश! हमने उनको समझने की कोशिश की होती, तो हम प्राचीनकाल के उसी तरीके से नर-रत्नों में एक रहे होते जिनको कि दुनिया वाले तैंतीस करोड़ देवता कहते थे। 33 करोड़ आदमी हिन्दुस्तान में रहते थे और उन्हीं को लोग कहते थे कि वे इनसान नहीं देवता हैं, क्योंकि उनके ऊँचे विचार और ऊँचे कर्म होते थे। वह भारत भूमि जहाँ से आप लोग पधारे हैं।

🔵 वह देवताओं की भूमि थी और रहनी चाहिए। देवता जहाँ कहीं भी जाते हैं, वहाँ शांति, सौंदर्य, प्रेम और सम्पत्ति पैदा करते हैं। आप लोग जहाँ कहीं भी जाएँ वहाँ आपको ऐसा ही करना चाहिए। आप लोगों ने जो अब तक मेरी बात सुनी, बहुत-बहुत आभार आप सब लोगों का।

🌹 ॥ॐ शान्ति:॥
🌹 समाप्त
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 हारिय न हिम्मत दिनांक :: २७

🌹  संतोष भरा जीवन जीयेंगे  

🔵 समझदारी और विचारशीलता का तकाजा है कि संसार चक्र के बदलते क्रम के अनुरूप अपनीमन:स्थिति को तैयार रखा जाए। लाभ, सुख, सफलता, प्रगति, वैभव आदि मिलने पर अहंकार से ऐंठने की जरूरत नहीं है। कहा नहीं जा सकता कि वह स्थिति कब तक रहेगी। ऐसी दशा में रोने-झींकने ,खीजने, निराश होने में शक्ति नष्ट करना व्यर्थ है। परिवर्तन के अनुरूप अपने को ढालने में,, विपन्नता को सुधारने में सोचने, हल निकालने और तालमेल बिठाने में मस्तिष्क को लगाया जाए तो यह प्रयत्न रोने और सिर धुनने की अपेक्षा अधिक श्रेयस्कर होगा। 

🔴 बुद्धिमानी इसी में है कि जो उपलब्ध है उसका आनंद लिया जाय और संतोष भरा संतुलन बनाए रखा जाए।

🌹 ~पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 Lose Not Your Heart Day 27

🌹  Live in Contentment

🔵 It is only wise to be prepared for changing times. You should never feel conceited about your successes, happiness, luxuries, or progress, because you do not know how long these will last. If they do not, there is no point in spending your energy complaining, despairing, or becoming angry. Use your time to think through the situation and devise a solution, or otherwise reconcile yourself to it. In the end, this will be more beneficial for you.

🔴 Real intelligence comes from finding happiness in whatever is available, and in this way, keeping your mental balance.

🌹 ~Pt. Shriram Sharma Acharya

👉 आज का सद्चिंतन 27 July 2017


👉 प्रेरणादायक प्रसंग 27 July 2017


👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...